अगर आपको आपको आगे बढ़ना है तो उन सब बातों का ध्यान रखना पड़ेगा जो आपको आगे बढ़ने में मदद करती है बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं| जो अपने काम पर ध्यान नहीं देते अपने व्यवहार पर ध्यान नहीं देते और दूसरों में गलती निकालते रहते हैं| ऐसे लोगों को आप अगर उनको अपने आप को सुधारने के बारे मैं बोलो तो बहुत बुरा मानते हैं| मेरा मानना है कि हम को सबसे पहले खुद पर ध्यान देना चाहिए जैसे कि अब अपना दीपक खुद बनो बुद्ध ने कहा था कि खुद का प्रकाश खुद बनो| आप के जीवन से संबंधित सारी बातें आप को प्रभावित करती हैं ना कि किसी और को और आपको अगर खाना खाना है तो दूसरे को मत समझना कि उसको भूख लग रही है आपको अगर अपना असाइनमेंट पूरा करना है तो दूसरे को मत समझिए कि वो लिखने बैठेगा |लगातार अपने दिमाग में अच्छे विचार और अच्छी बातें डालते रहते हैं तो कोई भी आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता एक मजेदार बात है आप चाहे गरीब हो अमीर हो लुले हो लंगड़े हो लेकिन आपकी इच्छा लेकिन अगर आपके विचार प्रभावशाली है आप अपने दिमाग में अपने आप को लगातार उन बातों को याद करते हैं रखते हैं बार बार सोचते हैं कि मुझे मैं एक आज तक डिसिप्लिन वाला व्यक्ति हूं| मैं एक सही समय पर काम करने वाला इंसान हूं |और मुझे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता मैं सोता रहता हूं समय पर उठता हूं अपना काम पूरा करता हूं और अपने आप को हमेशा सही रखता आपके विचार आपके आगे बढ़ने का सबसे बड़ा माध्यम हो सकता है कुछ बातें बहुत मजेदार है और अचरज भरी आपने सुना होगा एक बात को सौ बार अपने दिमाग में कहें और ऐसा 1 महीने तक कहते रहे आपको लगेगा वह सच है मैं एक नहीं कई लोगों जानती हूं जो जल्दी बातों में आ जाते हैं उन सब बातो को सच मानते हैं|आपने अक्सर सुना होगा विश्वास अंधा होता है वाकई यह सच है| और एक बात और सुनी होगी एक झूठ को 100 बार बोलो तो सच हो जाता है यह भी सच है क्योंकि आपका अवचेतन मन सही गलत का निर्णय नहीं जानता वह बार-बार कही हुई बात को सही मानता है झूठ हो या सच| जिस तरह की कंडीशन आप अपने दिमाग की करते आपका दिमाग जिसको की जिसका की 95% हिस्सा जो सिर्फ उसी बात को सही मानता है जो आप या तो सोच रहे हैं या आप देख रहे हैं और उसी के आधार पर आपके व्यक्तित्व का निर्माण कर देता है तो अगर आप किसी भी परिस्थिति में रहते हुए एक विचार दिमाग में बिठा ले और उसको बार-बार सोचते रहे आप अगर सही समय पर नहीं उठते हैं लेकिन सोचते हैं कि नहीं सही समय पर रुकता हूं |मैं मैं एक इंसान हूं मेरे अंदर मेरे अंदर अनुशासन कूट कूट कर भरा है |और मैं अपने नियम का पक्का हूं मुझे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता तो आप जानेंगे कि आप वह सब कर रहे हैं |और धीरे-धीरे आपका अवचेतन मन इन बातों को सही मानकर वैसा ही व्यवहार करने लग जाएगा| उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति जो कि 60 साल की उम्र में उसका एक्सीडेंट एक्सीडेंट हो गया और दाएं पैर का घुटना दाए पैर का घुटना चूर चूर हो जाता है उस व्यक्ति को इस बात की ज्यादा समझ नहीं है कि हुआ क्या है क्योंकि यह बचपन से गूंगा और बहरा है डॉक्टर कुछ कहते हैं उसको कुछ समझ में नहीं आता बस यह पता चलता है कि इलाज हो रहा है ऑपरेशन हुआ है पट्टी बंधी हुई है दवाई लेनी है उसके आगे अब ठीक होगा वह कब चलेगा वह चलेगा कि अभी नहीं यह जिंदगी भर वह कोई भी ऐसा विचार अपने दिमाग में नहीं डाल पाता और बस आराम से दवाई लेता है सो जाता है और उठ जाता है आप हैरान हो जाएंगे कि 1 महीने में यह आदमी चलकर अपने काम करने की जगह पहुंचता है जहां यह पंचर निकालता है
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