- कंगना आप उत्तराखंड से आती है और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाका है पहाड़ की जिंदगी मैदान की जिंदगी से ज्यादा कठिन होती है और बहुत संघर्ष से भरी हुई होती है क्या इस बात को नकार दोगी| महिलाओं के साथ आज भी पुरुषों के ज्यादा बुरा व्यवहार होता है क्या इस बात को भी नहीं मानोगी|
- हमारे देश के हर राष्ट्रीय अखबार में छोटे बड़े अखबार में हर संडे को जो मैट्रिमोनियल छपते हैं उनमें जातिगत मित्र होता है इस बात से इनकार करना है कंगना रनोट क्या इसको भी नकार दोगी|
- पूरे देश में जितना भी सफाई कर्मचारी है जो गंदगी उठाता है टॉयलेट साफ करता है वह उच्च वर्ग से नहीं आता है कंगना रनौत या इसको भी नहीं मानोगी|
- आज भी मंदिर में पुजारी बनने के लिए ब्राह्मण होना जरूरी है कोई भी दलित महिला पिछड़ा ओबीसी और अन्य अल्पसंख्यक मंदिर का पुजारी नहीं बन सकता है कंगना रनौत
- देश में जितनी भी पोस्ट कॉलोनी है उसे मकान है बड़ी बड़ी दुकान है वह गरीब दलित और पिछड़े वर्ग की नहीं है कंगना रनौत इससे भी कोई वास्ता नहीं है|
- आज भी जिन महिलाओं के साथ ज्यादा अत्याचार होता है वह दलित पिछड़े आदिवासी समाज से आती है कंगना रन्नौद यह महिलाओं का मुद्दा है कैसे आपका कोई वास्ता नहीं है|
- जितना भी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला गरीब तबका है वह दलित आदिवासी मुस्लिम और पिछड़े समाज से आता है कंगना रानाउत कितने लोग हैं उसमें उच्च वर्ग के झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं जिनमें कि हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी रहती है|
- डॉ बाबासाहेब आंबेडकर को थोड़ा सा पढ़ लो सब कुछ समझ में आ जाएगा|
- जाति को खत्म करने की बात इस देश का 85% वर्ग करता है क्योंकि उसका जाति के आधार पर शोषण होता है इस बात से कंगना रनौत का वास्ता है या नहीं पर यह इस देश की सच्चाई है|तुम्हारे कुछ भी बोलने से कुछ फर्क नहीं पड़ता कंगना रनौत भारत की जात समाज का ढांचा जाति व्यवस्था है यह सच है यह सच है और अभी कई 100 साल यह सच रहेगा क्योंकि इस देश का उच्च वर्ग स्वर्ण जाति जाति व्यवस्था को खत्म नहीं करना चाहती कारण की एक बड़ी आबादी उसको अपने लिए काम करने के लिए चाहिए|
बोलने से पहले थोड़ा पढ़ लिया करो कंगना रनौत अपना जीके ठीक करो समाज के बारे में थोड़ा रिसर्च करो कुछ भी बोलना अच्छी बात नहीं है यह आपकी मूर्खता नासमझी और बेवकूफी दिखाता है |कंगना रनौत फिल्मों की स्क्रिप्ट पढ़ते-पढ़ते शायद आपको असल जिंदगी से कोई वास्ता ही नहीं रहा |अब सपनों की दुनिया में जीती है| और सपनों की दुनिया की बात करती है| लेकिन एक बात पक्की है कि भारत की सामाजिक व्यवस्था के बारे में इनको कुछ भी मालूम नहीं है| समाज से शायद इनका कोई वास्ता ही नहीं है| समाज में उसकी असलियत और उसकी वास्तविकता जानने की कोशिश करें कंगना रनौत जी कोई बात नहीं जो बीत गया सो बीत गया अभी से आप समझ सकती हैं कभी भी आप होश में आ सकती है| और असल जिंदगी की जमीन पर रहे लोगों को समझने का प्रयास करें आप देश के 85% लोगों के जीवन संघर्ष को उनके जीवन की सच्चाई को नकार देना कहीं की भी समझदारी नहीं| सपनों की और आसमान की दुनिया परी कथा वाला वक्तव्य कह देना आपकी मूर्खता ही नहीं गजब की नासमझी भी है आपको जवाब देना बनता है क्योंकि आप जैसे लोग किस समाज की सच्चाई नकार कर उन लोगों के जीवन संघर्ष को छोटा कर देते हैं| जो कुछ भी ना होते हुए हर दिन एक तिनका तिनका बनकर अपने जीवन को जीने का प्रयास करते हैं|
समाज के उन लेखकों को पढ़ने की कोशिश करें कंगना रनौत जिन्होंने इस समाज की सच्चाई को लिखा है और हर उस पीड़ा को लिखा है जो समाज में दलित पिछड़ा आदिवासी महिला और अल्पसंख्यक की बात करती है|
कंगना रनौत डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने इसका भारत में उपस्थित जाति व्यवस्था जाति व्यवस्था पर 1915 (http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/txt_ambedkar_castes.html) में एक लेख लिखा है इसका लिंक मैंने दे दिया हैऔर इसके अलावा आप बहुत सारे वीडियो दलित कैमरा(https://www.youtube.com/results?search_query=dalit+camera+youtube) https://www.news18.com/news/opinion/what-is-it-like-to-be-a-dalit-in-2018-writes-a-senior-ias-officer-1640681.htmlऔर बहुत सारे ब्लॉक देख सकती है जिसने आपको समझ में आ जाएगा कि भारत में जाति के आधार पर कितना उत्पीड़न कितना भेदभाव और कितनी निर्दयता होती है| मैं आपसे यह उम्मीद तो नहीं करती कि आप किसी अच्छी लाइब्रेरी में जाकर दलित साहित्य से संबंधित कुछ पढ़ने का प्रयास करें लेकिन हां यूट्यूब और गूगल पर तो आप देखी सकती है| लोगों ने जाति के आधार पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते उठाते जीवन खपा दिए डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने जाति व्यवस्था की उत्पीड़न और भारत भेदभाव को समाप्त करते हुए इससे होने वाले अत्याचार और प्रताड़ना की भर्त्सना की और अपना पूरा जीवन खर्च कर दिया कि भारत में जाति व्यवस्था खत्म हो जाए और यही कारण है कि उन्होंने कानून में सबको समान अधिकार दिया उनका पूरा जीवन इसमें बीत गया कि जाति व्यवस्था का विरोध होना चाहिए जाति व्यवस्था नहीं होनी चाहिए |
आप कितनी बार अपने आपको मीडिया में कई बार ठाकुर ठाकुर कह चुकी है इसे क्या मतलब है क्या जरूरत है आपको अपने बारे में बताने की आप ठाकुर है कि नहीं है कि आप की जात क्या है अपनी जाति का जिक्र करने का कोई जरूरत नहीं है आप भी शायद अनजाने में ही वही सब कर रही है जो भारत में जाति व्यवस्था करवा देती है |उच्च वर्ग का व्यक्ति अपनी जाति को बताने में गर्व महसूस करता है आप समाज के सामने जो बेबाक होकर बोलती रहती है कंगना रनोट इसका भी पूरापूरा का पूरा श्रेय डॉ बाबासाहेब आंबेडकर को ही जाता है आप शायद पढ़ती नहीं है या समझती नहीं है या जानती नहीं है या जानना चाहती नहीं है आपकी मूर्खता पर हंसी भी नहीं आ रही आपका व्यवहार जाति व्यवस्था को लेकर बचकाना है और कड़ी निंदा के लायक है भारत में जाति व्यवस्था नहीं होनी चाहिए उनकी छोटी सी किताब है जाति विच्छेद (एनीहिलेशन ऑफकास्ट )अच्छे एक बार पढ़ ले अगर समझ में नहीं आया तो दो-चार 10 बार भी बढ़ सकती है उसके बाद आप से बात की जा सकती है की जाती है या नहीं
अंबेडकर का पूरा जीवन गया कि हमारे देश में जाति व्यवस्था खत्म हो जाए लेकिन लेकिन ऐसा नहीं हुआ आज भी चाहे हम इसी कड़ी में हो बहुत उच्च तकनीकी का इस्तेमाल कर रहे हैं परंतु जो मानसिकता है वह जाति व्यवस्था की है और जाति को को छोड़ नहीं सकता तो जो जाती है कि जाते ही नहीं है|
कंगना रनौत जी फिर से कई सवाल पूछने हैं मैं भी एक महिला हूं और भारत में पैदा हुई हूं और भारत की स्थिति को अच्छी तरह जानती हूं मेरा पहला सवाल मुझे पिछले 2 हफ्ते का कोई भी राष्ट्रीय अखबार उठाकर उसके रविवार वाले एडिशन में जो मैट्रिमोनियल छपते हैं शादी ब्याह की बात होती है उसमें आप मुझे यह बता दें कि कहीं भी जाति का जिक्र नहीं है आप मुझे यह बता दे की आज की फिल्म इंडस्ट्री में कितने लोग हैं जो दलित आदिवासी और अपने समाज से आते हैं और जिन्होंने अच्छा काम किया है अच्छा नाम किया है और उनका और उनकी जाति का मेरे को मालूम है मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया हमारी बॉलीवुड इंडस्ट्री में बनी है उतना ही तो गरीब होता है और उसके जाट का कभी बुरा नहीं होता है वह कौन है जो समाज से आता है इसकी जांच क्या है आप मुझे बता दे| जैसा कि अंबेडकर ने कहा है कि भारत में जाते भारत में समाज की शुरुआत नहीं होती उसे होती है|
आपको शायद मालूम हो जैसा कि प्रतीत होता है हमारे देश में जितने भी सफाई कर्मचारी है उत्तर से लेकर दक्षिण पूर्व से लेकर पश्चिम आप उनकी जाति का ब्योरा जान ले और बता दें कि उसमें कितने ब्राह्मण बनिया राजपूत और कायस्थ है|महिलाओं के खिलाफ अपराध में लिखने की बलात्कार घरेलू हिंसा मानसिक प्रताड़ना हत्या और कई तरह के अपराध है उन सब में उन सब में पूर्ण करें और उसने बताया कि कितना मत मिला कितने प्रतिशत महिलाएं हैं उच्च वर्ग से आती है दलित आदिवासी पिछड़े या मुस्लिम समाज की महिलाओं प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है थोड़ा जानने का प्रयास करें और आगे से अपना मुंह बंद रखें कुछ बोलने से पहले पढ़ो समझो जानो तब बको|