- महात्मा बुद्ध पर जब ये लिजम लगाया गया 1950 में छपी एक मैगज़ीन ईव्स वीकली में छापे लेख में की भारत में महिलओं की गिरती दशा का कारण बुद्ध हे तब बाबासाहेब ने उसका जवाब दिया राइज एंड फॉल ऑफ़ हिन्दू वीमेन हु इस रिस्पोन्सिबल फॉर इट बाबासाहेब लिखते हे की बुद्ध ने अपने भिक्खुनी संघ में महिलओं की सम्मिलित किया जिसमे वैश्याएं थी विधवा थी परित्यक्ता थी एकल माताएं थी समाज के द्वारा यौन शोषण कस शिकार हुयी महिलाएं थी बुद्ध ने उनको मैडिटेशन का अधिकार दिया उनको मोक्ष माँ अधिकार दिया जो की किसी भी अन्य धर्म में नहीं था और महिलाओं को पड़ने का अपने को किसी भी हुनर में पारंगत करने का अधिकार दिया (महापर्निबान सुत्ता एस बी बी जे सीरीज़ ) बुद्ध ने महिलाओ को सबसे पहले मनुष्य माना उसकी पहचान सब से पहले एक इंसान के रूप में की अगर ऐसा नहीं होता तो वैश्याएं, विधवा परित्यक्ता, एकल माताएं वर्जिन नहीं होती हे उनका ब्रह्चर्य नहीं होता हे तो फिर वो धर्म के हिसाब से कभी मोक्ष प्राप्त नहीं क्र सकती हे क्योँ की मोक्ष का अधिकार तो केवल पुरुष को दिया गया हे वो माहवारी से नहीं होता व् उसके शरीर के साथ अपवित्र होने का धब्बा नहीं लगता हे। इसलिए बुद्ध को इतना महान कहा गया हे। उन्होए महिलाओं को सर्वोपरि स्थान दिया जो आज तक कोई नहीं डे पाया हे।
- आज भी हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यह बात में एक शहर में रहते हुए और एक अच्छी नौकरी करते हुए कह सकती हूँ जैसा कि लूसी अरिगरी अधिकारी ने कहा कि पुरुष सत्तात्मक समाज में पुरुष संसाधनों को, समाज को, और सभी व्यवस्थाओं को अपने नियंत्रण में रखता है जैसा कि शाम को 9 सुबह के 6 बजे तक (यह रात का समय हे और महिलाएं सुरक्षित नहीं हे ) हमारे समाज में महिलाएँ ऐसा कोई काम नहीं कर सकती जिस से उस 12 घंटे में वो अपने लिए आमदनी का कोई एक ऐसा ज़रिया ढूंढ लें क्योँ की सारे काम घर पर बेथ क्र नहीं किये जाते हे। जैसे आदमी नाईट ड्यूटी करते हे औरते भी क्र सकती हे। जिसमें कि वो आर्थिक रूप से मज़बूत हो जाए यानी कि महिलाओं को 24 में से सिर्फ़ 12 घंटे में ही अपनी उन्नति तय करने का मौका हे बाकी की समय सीमा तय हे। अब इस 12 घंटे में जिसमें कि महिलाएँ रात में बाहर नहीं जा सकती वो अपनी कम्पनियां अपने काम को कर नहीं सकती यह सुरक्षित नहीं है इस तरह से पुरुषवादी समाज ने महिलाओं से एक बहुत बड़ा समय का चक्र छीन लिया जिसमें वो अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी कर सकती हे ।
- महिलायेपॉलिटिक्समें व्यापार में या ऐसे क्षेत्रो में जहाँ आज भी पुरुषो का दबदबा हे बहु मुश्किल से ही अपनी जगह बना पति हे। अर्थव्यवस्था में, किसी भी बाज़ार में दुकान लगाने की बात हो, या टैक्सी ड्राइविंग की दुनिया में काम करना हो महिलाएँ आसानी से ये काम नहीं कर पति हे। एक बार जब मैं अपने विद्यार्थियों से बात कर रही थी तो मैंने पाया कि इंग्लिश लिट्रेचर में ज़्यादातर लड़कियाँ प्रवेश करती है और मेरे बच्चों का जवाब था कि मैडम इंजीनियरिंग कॉलेज में आपको मुश्किल से कोई लड़की मिलेगी यहाँ तक कि कंप्यूटर एप्लीकेशन या IT कंपनी उसमें या ऐसा वर्ल्ड जिसमें फ़ील्ड वर्क हो महिलाओं की भागीदारी को बोहोत सपोर्ट नहीं किया जाता इससे हमारी अर्थव्यवस्था अर्थव्यवस्था का आधा हिस्सा पूंजी को बढ़ाने में कोई मदद नहीं पाता हे।
- महिलाओंकेप्रति जो विचार वनाएँ हैं वो बेहद आपत्तिजनक है। आज भी विचार पुरुषों के दिमाग़ में महिला के शरीर को इस्तेमाल करने से ज़्यादा कुछ नहीं रहता हे। हमारी मानसिकता में अगर देखा जाए तो पुरुषों को औरतें या तो बिस्तर पर या रसोई में ही अच्छी लगती है और जिस तरह से हम लडकों की परवरिश करते हैं तो उनको खाना बनाने घर की रसोई यह साफ़ सफ़ाई पर ध्यान देना नहीं सिखाते क्योंकि सभी को पता है कि 1 महिला आएगी जो इस पुरुष का कपड़ा धोएगी इसकी रसोई संभाल लेगी और इसका घर का काम करेगी जब 1 नौकर आपको फ़ालतू में हमेशा के लिए मिल जाएगा जिसका की आपको न तनखा देनी है न ही उसको पैसा देना हे तो क्यों न लड़के अपने आपको कंप्यूटर एप्लीकेशन में या ऐसे कामों में लगाए जहाँ पर वो पैसों से ज़्यादा से ज़्यादा आमदनी कर सकते हैं जब महिलाएँ वर्किंग हैं उनके लिए सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि वह अपनी रसोई कैसे संभालें बच्चों को कैसे संभालें और साथ में अपनी नौकरी में एक गुणवत्ता और बहुत अधिक कॉम्पिटिशन कैसे दे।
- बायोलॉजीका नियम हे की बच्चे तो महिलाएं ही पैदा करेंगी और इस देश के आयी टी सेक्टर, प्रोडक्शंस सेक्टर, डिस्ट्रीब्यूशन, सर्विस सभी सेक्टर में महिलओं की भागीदारी बढ़ाने से ना सिर्फ उस महिला का जीवन स्तर ऊँचा होता हे बल्कि उसके बच्चे भी अपना जीवन स्तर उच्च से उच्चतर करते हे। इंदिरा नूयी जी एक बात मुझे याद अति हे की जब वो पेप्सी की सी इ ओ थी तब उनके ऑफिस में उनके बच्चो के रुकने और आराम करने व् माँ के साथ समय बीतने की एक अलग व्यस्था थी और इसके चलते वो काम भी ज्यादा क्र पई बच्चो कीदेख रेख के साथ में।
- आज भी हमारा समाज महिला को बोज बननता हे उसको सेल्फ देपंड हनी के अवसर नहीं देता उसको किसी के घर की नौकरानी बनने के लिए तैयार किया जाता हे मेरी एक मित्र हुवा करती थी वो पड़ने में अच्छी थी पर जैसे ही उसके बड़े भाईयो की शादियां हुयी भाभियों ने उन बहनो की किसी के भी साथ शादी क्र के घर से निकलने की मुहीम चला दी। एक अच्छी पड़ने वालो होनहार लड़की का जीवन इसलिय बर्बाद हो गया क्योँ की भाभियों को लगता था की उन लड़कियो पर किया गया पैसा व्यर्थ जायेगा। वो भाभियाँ पड़ी लिखी थी और यह भी नहीं समज पायी की उनको भी तो उनकी माँ ने पढ़ाया और उनके भाई ने वो विलेन का एक्ट नहीं किया जो वो अपने पतियोँ से अपनी