Blog Details Title

Shushant Singh: Ek Jiwani Mehnat, Kamyabi, our Atmhatttya

अभी तक इन कारणों का पता नही चला कि आत्महत्या क्यो की की गई। परन्तु यह बहुत दुखद है कि एक बहुत ही मेहनती कलाकार ने अपने जीवन का अंत कर दिया। शुशांत को ये तो पता था कि कामयाब कैसे होना है पर जो वह नही सीख पाया वो था जीवन की तकलीफ़ो, नाकामयाबियों, ओर असफलता को कैसे लेना है । हो सकता है रिस्तो का पेंच हो, या काम का या परिवार का या कुछ भी पर जीवन से बड़ा कोई कारण नही जो सकता।  नकारना या अस्वीकार्यता(रिजेक्शन) को मात केसे देनी है यह सीखना ज्यादा जरूरी था।  अगर जीवन मे ऐसे मोड़ आये जब आप कठिनाईयों को नही संभाल पा रहे है तो आप सब कुछ पा कर भी फेल हो जाते है। फिर पैसे, नाम शोहरत, इज्जत के क्या मायने। माना किसी ने आप को नकार दिया, प्रेम में रिश्तों में, व्यापार में यहां तक कि आप के स्वास्थ्य में भी। फिर से उठना है जीरो से शुरु करना है।

यही है जिंदगी। यही है जीवन की जीत। कारणों की मालुमात नही पर शुशांत के हिसाब से कोई बहुत बड़ा रहा होगा, जीवन से बड़ा तब ही तो उसने आत्महत्या की। जीवन की समाप्ति कभी भी जीवन का समाधान नही।मुंबई में जहाँ लोगो को फ्लैट तक नही मिलता  वहा उसके वास एक फ़्लैट था। पैसा था नाम था शोहरत थी। सब कुछ एक सुंदर सुघड़ शरीर, अच्छा कद, अच्छा रंग लोगो को शरीर से दुख होता है में मोटा हूं, पतला हूं में छोटा हूँ  काला हूं । जो भी हो कुछ तो कॉरन था जो वह सरलता सरलता नही ले पाया । कुछ भी हो पैसा, आपसी संबंध, परिवार ,व्यापार कुछ भी पर कोई भी कारन जीवन से बढ़ कर नही था।जीवन सब से कीमती है। जीवन से बढ कर कुछ नही। जीवन की एक हकीकत में शायरा बानो केस याद होगा आप को जिसका पति वकील था और करीब साठ साल की उम्र में उस महिला को उसके पति ने तीन तलाक दे दिया,जवान महिला के साथ रहने के लिए तलाक दिया यह कम जिल्लत नही थी पर वह लड़ी। जीवन मे आप को बहुत सारे लोग मिलते है जो आप को हर कीमत पर नकारेंगे। पत्नी क्या करे। सीधी सी बात है इग्नोर या ध्यान नही देना। हमेशा यह समजे की सामने वाले का एक मकसद है कोई भी इंसान बिना फालतू में कोई काम।नही करता आप को वो कारण बनाएंगे पर आप कारण नही है ।कभी भी।समय समय पर लोगों के विचार, जरूरतें मकसद बदल जाते है किसी की वजह से खुद को कभी भी तकलीफ़ ना दे। याद रखे हर इंसान का अपना मकसद होता है उसके दिमाग मे उसका काम उसकी जरूरतें सरवोपरि होती है इसमें आप का कोई दोष नही।स्वयम को दोषी ना माने। यही आप कक जीत है। जो भी आप को नकार रहा है उसका अपना एक मकसद है इसमें आप की कोई गलती नही।आप सिर्फ अपने को एक शानदार समजे आगे बढे। लोग समय समय पर अपनी जरूरतों के हिसाब से अलग व्यवहार करते है।

रिजेक्शन या नकारना स्वीकार करना बहुत मुशिकल होता है । लोग इसको आसानी से नही  ले पाते है।। आप के पास पैसा है । घर है रंग है रूप है उम्र है सब कुछ है फिर भी आप किसी के द्वरा स्वीकार किये जाने को नही ले पाते फिर आप ने जीवन मे एक ही बात सीखनी थी वो है नकायबी, अस्वीकृति को कैसे लिया। याद रखे जीवन मे आप के जीवन का महत्व सिर्फ आप को मालूम होना चाहिए। आप के संघर्षों को आप की तकलीफ़ों को आओ से बेहतर कोई नही जान सकता । फिर जो आप के  जीवन का मूल्य है आप केलिए वी दूसरो के लिए कैसे होगा।फिर दूसरे अगर आप को ना समझे कोई बात नही आप स्वयं को महत्व दे बस स्वमयं को बड़ा समजे हर उस बात को महत्व दे जो आप से संबंध रखती है।

1 जीवन से बड़ कर कुछ भी नही।
2 आप के संगर्ष आओ की कामयाबी आप को याद रखनी है दूसरे नही रखेंगे।
3 लोगो का व्यवहार समय परिस्थितियों व ज़रूरतो के हिसाब से बदल जाता है।
4 लोग अक्सर अपने काम व मतलब से आओ के पास आएंगे।
5 कभी जब लोगो का काम निकल गया तो ज्यादा होशियार लोग आप ही को दोषी साबित कर चले जायेंगे जब
कि जाना उनको था ही पर दोश आप के माथे पर मद कर जाएंगे।
6 वक्त के साथ सब  कुछ बदलता है यह जीवन का नियम है इसको बहुत साधारण रूप में ले।
7 आज जो है कल उसका उलट बहु हो सकता है जीवन इसी का नाम है।
8 किसी के व्यवहार को अपने पर ना ले
9 हमेशा थोडा व्यायाम व ध्यान करे।
10 अच्छी किताबे पढे इनसे अच्छा कोई मित्र नही
11दूसरो से तुलना करें कि आओ के पास क्या कुछ है
12 किसी की बात को दिल पर ना ले आप बहुत ताकतवर हो जाएंगे।

  • Related Tags:

(1) Comment

  1. Dr Saloni Gupta

    Very well written piece. Truly captures the complexity of human emotions and sentiments. Also lists very inspirational and practical advice for youngsters.

Leave a comment