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महिलाएं, समाज व सम्मान

आज भी समाज में महिलाओं के नाम किसी तरह की संपत्ति नहीं होती है लड़की जब पैदा होती है तो मां-बाप का घर उसका घर नहीं होता और मां बाप की संपत्ति में उसका कोई अधिकार नहीं होता भारत में कानून में अधिकार दिया गया है लेकिन सामाजिक तौर पर अमल में यह कानून नहीं मिलता लड़की की जब शादी होती है तो यह कहकर कि इसको ससुराल में संपत्ति का अधिकार मिल जाएगा इसलिए मायके में उसकी संपत्ति अधिकार को खत्म कर दिया जाता है नहीं तो दो जगह उसको का संपत्ति का अधिकार मिल जाएगा

 और जब ससुराल में जाती है तो वहां की संपत्ति में उसको वही हिस्सा मिलता है जो उसके पति का है तो वह अकेले किसी भी संपत्ति की हकदार नहीं है पति की संपत्ति में उसका हक नहीं है क्योंकि संपत्ति पति के नाम होगी ना कि उस महिला के नाम|

 प्ले ब्राइटनेस जो की जानी-मानी वकील है और समाज सुधारक भी अपनी किताब फैमिली लॉ में लिखती है कि 19वीं शताब्दी में और उससे पहले भी कई शताब्दियों से महिलाओं को संपत्ति में अधिकार इसलिए नहीं दिया गया कि अगर उनको संपत्ति का अधिकार मिला तो शादी टूटने का खतरा बढ़ जाएगा क्योंकि उससे महिला को आत्मनिर्भर होने का मौका मिलता है तो शादी जैसी संस्था को बचाए रखने के लिए संपत्ति के अधिकार का हनन कर दिया गया दूसरा सबसे बड़ा काम समाज जो करता है वह की शादी के बाद तुरंत बाद महिला को बच्चा पैदा करना होता है बच्चा पैदा होते ही महिला उस परिवार और उसे शादी से बंद के रह जाती है क्योंकि बच्चा पैदा होने के बाद एक बायोलॉजिकल बच्चे से पैदा होता है और अपनी सारी जरूरतों को छोड़कर बच्चे की परवरिश हो जाती है कुछ लोग इसको समाज में बहुत चालाकी से भरा हुआ कदम मानते हैं और जो पुरुष सत्ता है या पुरुष जिसको आप कहेंगे उसमें इन सब साधनों का उपयोग किया गया है कि किस तरह महिला को नियंत्रण में रखा जाए अब आप देखेंगे कि जो महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रुप से संपन्न है वह अपने जीवन में किसी भी तरह के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होती है| आपको बहुत सारी ऐसी महिलाएं मिल जाएगी जिनको शादी के बाद सिर्फ इसलिए छोड़ दिया जाता है कि उनको वह बच्चा पैदा नहीं कर पाई और सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे कानून में भी इस बात को तरजीह दी गई है कि बच्चा ना होने के आधार पर पति तलाक ले सकता है

 शादी के समय पर यह बात तय की जा सकती है कि यह बच्चा पैदा कर सकती है या नहीं क्या कानून में इस तरह का कोई नियम है शादी से पहले आप उसका कोई मेडिकल जांच कराएं कि वह बच्चा पैदा कर सकती है या नहीं और उन महिलाओं का क्या इनके बच्चे पैदा हुए और जीवित नहीं रहे ऐसे बहुत सारे उदाहरण है समाज में जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं और इन सब का सबसे बड़ा सीधा समाधान निकाला जा सकता है महिला को संपत्ति का अधिकार देकर महिला को संपत्ति का अधिकार उतना ही जरूरी है जितना कि पुरुष वरना जो महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं वह कभी रुकने का नाम नहीं ले सकते

 समाज में जिन्होंने समाज में से बहुत सारी महिलाएं हैं जिन्होंने शादी नहीं की और शादी नहीं करने से उनकी बुढ़ापे में कोई देखरेख करने वाला नहीं होता ना परिवार वाले भाई बहन मां बाप कोई नहीं होता और ना ही ऐसी कोई व्यवस्था है समाज में किसी महिला को एक सम्मानजनक स्थिति में रखा जाए क्या हम इस लायक नहीं है कि उन औरतों के बारे में सोचें जो अकेली है बूढ़ी है और जिनको देखरेख की जरूरत है क्या सरकार ने समाज में ऐसी कोई व्यवस्था की है कि ऐसी महिलाओं को सम्मानजनक स्थिति में वृद्धावस्था में रखा जाए नहीं मैं ऐसी बहुत सारी महिलाओं को जानती हूं जो बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है इधर उधर भटकने को मजबूर है और उनकी कोई देखरेख करने वाला नहीं है शादी नहीं कि बच्चे नहीं है और कोई जरिया नहीं है काम का जब काम करने नहीं लायक नहीं रहेगी तो उसकी देखभाल कौन करेगा ऐसे बहुत सारे सवाल है हमारे समाज में जो सोचने चाहिए और इन सवालों का समाधान किसी न किसी स्तर पर व्यावहारिक तौर पर होना जरूरी है नहीं तो हम बहुत सारी महिलाओं के साथ अन्याय कर देंगे

 उस महिला का जो काम या फिर उसको एक मेडिकल हेल्प चाहिए कोई बड़ी गंभीर बीमारी है कुछ भी उसको पेंशन नहीं है बच्चे नहीं है पति नहीं है मां-बाप नहीं है ऐसी महिलाएं कहां जाएगी कितने वृद्ध आश्रम है ऐसे तो सुरक्षित है और उन महिलाओं को सुरक्षित दवा  सम्मान और सुरक्षा प्रदान की जाती है

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