मेरे संघर्ष की कहानी |अंजली ब्यूटी पार्लर संत नगर

मैं एक साधारण घर में पैदा हुई और बहुत मुश्किलों और मेहनत से हमारी मां बाप ने हमको बड़ा किया पाला हमारे माता-पिता की खासियत थी उस से बढ़कर हमको दिया और एक बात जो हमको सिखाई  मेहनत की सबसे बड़ी सफलता की कुंजी है मेहनत सबसे बड़ा और सब तकलीफ हो का समाधान है|

 जब शादी हुई तो शादी के बाद की तकलीफ में और शादी के साथ आने वाली परेशानियों से मेरा कोई वास्ता नहीं था |जीवन में वह सब संघर्ष आया जो मैंने कभी सोचा नहीं था और एक दबाव लगातार बढ़ता रहा कि काम करो पैसा कमाओ काम करो पैसा कमाओ और उसी दबाव में दिल्ली आने पर मजबूर किया मैं दिल्ली में आई मेरी दो बेटियां थी और उन दोनों बेटियों को पालना बड़ा था और उनको सही पालन पोषण देना और साथ में अपनी निजी परेशानियों को चीरते हुए अपने काम को और बच्चों को देखना बहुत मुश्किल था|हौसला था

 ऐसा कोई सहारा नहीं मिला हमें मदद करता और उस वक्त की तकलीफ में जो लोग हमारे आसपास थे जहां मैं काम पर जाती थी कभी मिसेज सपरा  मैम मेरी जिंदगी में आए और उन्होंने मुझे पार्लर का काम सिखाया और जब मैं पार्लर का काम सीख रही थी तो मेरी बड़ी बेटी बहुत छोटी थी और मैं ज्यादा समय तक पार्लर में नहीं रुक सकती थी क्योंकि बच्चा छोटा था और तब सपना मैंने मेरे काम के घंटे कम कर दिए और मुझे मेरी सुविधा के हिसाब से काम करते हुए मुझे काम सिखाती हूं मैं आज इस वक्त अपना  सपरा मैम को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं उसके बाद मेरा सपना था कि मैं अपनी बच्चियों को अंग्रेजी माध्यम में  पढ़ाई करवा सकूं और मैंने अपनी बच्चियों को अंग्रेजी में पढ़ाया |

परमानंद में 20 साल अपना पार्लर चलाया और वहां के सब लोगों का बहुत प्यार और सम्मान मिला और उसी सम्मान और प्यार के चलते मैं आगे बढ़ती गई मैंने अपना घर बनाया और आज मैं संत नगर में अपने घर में अपना पार्लर चलाती हूं|  मेरा दिल्ली में रुकना और मेरे पार्लर तक की कामयाबी 20 साल में यह साबित करता है कि अगर हमारे हाथ में  हुनर है और इमानदारी से तो हमें किसी भी तकलीफ में आगे बढ़ने में कोई नहीं रोक सकता मैं उन सब लोगों का धन्यवाद जिन्होंने किसी न किसी रूप में मदद की परमानंद के उत्सव साथियों का और महिलाओं का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मेरे काम की तारीफ की और जिन्होंने  मुझे पार्लर का काम दिया दिया और यही भावना भावना आगे बढ़ते हुए अंदर आत्मविश्वास जगा और आज में जागरूक और कामयाब महिलाओं की श्रेणी में अपने आप को देखती हूं और यह मेरे लिए गर्व की बात है|

 संघर्ष के बाद एक बात समझ में आई कि फिर भी बहुत सारे लोग हैं| इस दुनिया में जो हमसे ज्यादा दुखी हैं |और हम से ज्यादा परेशान हैं| और उसके बाद एक समय के बाद मैंने अपनी तकलीफों को छोटा करके देखना और लोगों के लिए काम करना शुरू कर दिया आज मैं कम से कम अपने आसपास के लोगों में बहुत सारी लड़कियों को प्रभावित कर सकती हूं |और मुझे देख कर बहुत लोग यह कहते हैं |कि संघर्ष का दूसरा नाम है संघर्ष का दूसरा नाम है इसीलिए मैं अब संघर्ष इसीलिए अपने संघर्ष में जीती हूं संघर्ष ही मेरा जीवन है|और संघर्ष में आनंद आता है |और यही संस्कार में अपने बच्चों में देने में कामयाब हुई और यही कारण है कि आज अच्छे लोग हमसे जुड़े हुए हैं|और हम अच्छी सेवाएं देने में कामयाब है आप मेरे पार्लर पर आए बहुत अच्छी सर्विस आपको मिलेगी और एक अफसोस ही रहा कि जो घर परिवार की औरतें थी जिनको मुझे सहयोग देना था उन्होंने थोड़ा जीवन को ज्यादा मुश्किल बना लिया लेकिन बाहर के लोग आए उन्होंने हमें सपोर्ट किया और आज में एक कामयाब महिला के तौर पर अपना काम कर रही हूं हाथ का हुनर है मेरा और मैं लोगों को अपनी सेवाएं दे करके  और और इज्जतदार और मेहनत की जिंदगी जी रहे|

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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