बुद्ध महिलाओं को समान अवसर देते है भाग 2

1950 में छपे उस लेख का लामा गोविंदा ने जवाब दिया ओर उसके साथ ही बाबासाहेब जो कि उस वक्त कानून मंत्री थे ने अपना तर्क दिया (हिन्दू महिलाओं का उत्थान व पतन, डॉ अम्बेडकर, 15, फरवरी 1999,ब्लू मून बुक्स)कि किस तरह बिना गहराई में जाये साधारण तरह से भी समाज जाए तो भी बुद्ध के संघ में महिलाओं का प्रवेश था तथा भिक्खुनी संघ हुआ करते थे जो कि आज भी है और आगर साधारण तरीके से भी महिला बुद्धा को न ले तो उसको ये अहसाह हो जाता है कि वो महिला होने से पहले एक इंसान है ओर बुद्ध ने कभी भी महिला  की , जाती, धर्म, उम्र, रंग, पहनावे या खानपान का भेद नहीं किया। बुद्ध ने महिलाओ की तर्क शक्ति पर भी कभी शक नही किया उनके संघ में महिलाओं को पूरा अधिकार था हर उस बात का जो पुरुषों को था।अगर ऐसा होता तो कभी भी महिलाओं का संघ में प्रवेश संभव नही होता। जब कि ये बात सब को पता है कि बुद्धिज़्म में महिलाओं के संघ रहे है थे। है और रहेंगे । संघ में प्रवेश के बाद ज्ञान, तर्क व समाधि के आधार पर बुद्धत्व प्राप्त करना होता था और महिलाएं इस कि पूर्ण हकदार थी। जैसा कि डॉ अम्बेडकर ने (राइज एंड फॉल ऑफ हिन्दू वुमन, डॉ बी आर अम्बेडकर, ब्लोमून बुक्स, 1999,8) में लिखा है की महिलाओं का संघ अलग से बनाया और उनको पूर्ण आज़ादी दी।

एक घटना के आधार पर जो कि इस किताब में रचित है (राइज एंड फॉल ऑफ हिन्दू वुमन, डॉ बी आर अम्बेडकर, ब्लोमून बुक्स, 1999,8) एक बार जब राजा प्रसेन जीत बुद्ध  से मिलने आए श्रावस्ती ओर उसी वक्त एक संदेश वाहक ये सूचना राजा को देता है कि उनकी पत्नी महारानी मालिका ने एक पुत्री को जन्म दिया है। राजा प्रसेनजीत उदास हो जाते है उनकी उदासी देख कर बुद्ध कहते है

“इसमें उदास होने  का कोई कारण नही एक दिन ये पुत्री बड़ी ही कर बहुत प्रभावशाली व बुद्धिमान बनेगी ओर अपने कर्मो ओर व्ययहार से बहुत बड़ा काम करेगी। राजन महिला सर्वोत्तम है क्यो की सारे बोधिसत्त्व व पराक्रमी राजा उसी से जन्म लेते है।”

अम्बेडकर आगे बहुत सारे उदाहरण देते है मनु स्मृति के उदाहरण देते बे जिसमे महिला को बहुत बदतर हालात में पेश किया है।

महिलाओ को बुद्ध ने बराबरी का दर्जा दिया ये पाली साहित्त्य व अनेक ग्रन्थों बुद्ध के कहे गए प्रवचन इस बात का प्रमाण है। कही भी ये लिखा नही पाया कि बुध्द महिला विरोधी थे जब कि मनु स्मृति इसका बहुत सुंदर उदाहरण है। एक बार महिला मनु स्मृति को पढ़ ले तो न मनु को याद करेगी नही अपने बच्चों का नाम मनु रखेंगी।

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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