तुम्हारी ड्रेस मेरी ड्रेस

कपड़ों पर हमारे समाज मे बड़ी राजनीति होती है । खास तौर पर भारत देश मे लड़कियां क्या पहनें क्या नही कैसे एसे जैसे तैसे सब सवाल यह खड़े हो जाते है । ओट कभी कभी बेहद मजेदार घटना सामने आती है जैसे कि माइक न यह नेता जी अपने साथी से कुछ बोल रहे थे माइक न था जनता ने सब सुन लिया और उस पर बवाल मच गया ।

अब नेता जी भी बहुत असमंजस में है जो नही कहना चाह रहे थे वही मुह से निकल गया यह सब हुवा कैसे। नेता जी फिर सफाईदेते है हमारा यह मतलब नही था हमारी बात का गलत मतलब निकाला गया है ।

फिर यह सब हुवा के से दर असल जब हम बड़े होते है तो हमारे आस पास का माहौल हम को देखने सुन ने में मिलता है और उसका यह मतलब होता है कि जो बाते बचपन मे हम ने सुनी वो कब हमारी सोच का हिस्सा बन गयी इसका हम कोपता भी नही लगा ओर  हम कहते फिरते है कि गिर भी औरतों को खाना तो अपने हाथ से ही बनाना चाहिए। या बच्चो की देख रेख के लिए आई न रखो।

फिर नेता जी ने ऐसा क्या कहा।दर असल नेता जी किसी महिला के कपड़ो को ले कर कोई टिप्पणी कर रहे थे टिप्पणी भद्दी थीं बवाल खड़ा हो गया। महिलओं के बारे कुछ भी बोलना हमारे बड़े होने का हिस्सा है और कपड़ों के बारे में तो  जैसे हम महिलाओ के कोर्ट के आखरी जज हो जो कुछ भी फैसला देने को स्वतंत्र है और उसको मानना हर महिला का उत्तरदायित्व है।

अब कपड़ो की राजनिति। न तो कोई उसमे पॉकेट होती हर नाही उसमे बहुत कम्फर्ट होता है बस कुलमिला कर लड़की या महिला का शरीर दिखे। जो कि शायद प पुरुषो को अच्छा लगता है। शनेल इसमें खास तारीफ की हकदार है जिसने महिलओं के कपड़ो में एक उपयोगिता ओर आराम भर फिया। मुजे लगता है जब मायावती जी ने अपने स्टेचू के साथ मे पर्स लटकाया तो वो यह कहना चाहती थी कि क्यो की तुमने हम को कपड़ो में जेब नही रखने दी इसलिए हम पर्स रहेंगे। या हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति के चुनाव में एक मुद्दा उठा कि आज भी अमरीकी महिलाओं के कपड़ो में जेब नही होती है।।

आदमी जहाँ अपने कपड़ों में भाग लेता है दौड़ लेक्ट है अपने जरूरत का सामना रख लेता है वही महिला के कपड़े उसको निर्भर व लाचार बनाते है। इस तस्वीर को देखे। ये लड़का भाग सकता है कूद सकता है कुछ भी कर सकता है परन्तु वही यह दुल्हन अपने इस एक्स्ट्रा कपड़े को संभालने में जल भी जाएगी पर भाग नही पाएगी। तब ही वर्जिनिया वुल्फ कहती है कि वीटा सकविल के कपड़ो से उसको जलन होती थी क्यो की वीटा मर्दानाकपड़ा पहनती थी।

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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