कबीर के पजामे

कबीर के पजामेइस लोक डाउन में बहुत कुछ बदला जैसे की बच्चे के कपड़े छोटे पड़ गए और में कैसे खरीदू कहा से खरीदू यह बड़ी समस्या बन गयी ।कबीर भी परेशान थे।  बच्चों  के लिए दो बातें जरुरी होती हे एक तो आराम और जो कपड़ा बच्चे के शरीर को मिलना चाहिए और कपड़े की क्वालिटी कपड़ा ऐसा हो जो बच्चे की स्किन को नुकसान न पहुचाये।बच्चो की स्किन बहुत बहुत नाज़ुक होती हे।  उसके शरीर को छुए तो बहुत आराम दे बच्चे  को।  फिर  वही वही कपड़े पहनने में बच्चा बहुत नयापन महसूस नहीं करता हे।  कबीर परेशान थे मुझे बारबारअपने कपड़ो की शिकायत करते । में कोई उपाय नहीं दे पा रही थी मन ही मन बहुत दुखी थी की कबीर के लिए  की क्या किया जाए।  बच्चो का शरीर बढ़ता हुआ होता हे उसको आराम जरुरी होता हे जिस से वह खुल कर बढ़ सके।

 फिर कबीर ने ही मुझे समाधान दे दिया।  एक दिन बोले माँ मेरे लिए पजामे बनाओ।  में पाजामे पहनूंगा।  मेने कहा आप ने कभी एसे पाजामे नहीं पहने हे आप को पसंद  नहीं आएंगे क्या सचमुच आप सूती कपड़े के  पजामे पहनेगे ? फिर पूछने लगे अच्छा माँ ये बताओ की बाजार के पजामो और इन पजामो में क्या फर्क हे। फिर मेने समझाया
1  ये पाजामे सूती कपड़े के होते हे तो बहुत अधिक स्किन को भाते हे।
2  डिज़ाइनर नहीं होते
३  पॉकेट्स नहीं होती क्योँ की में जेबे नहीं बना पाऊँगी

4 आप के दोस्त देखकर कुछ अच्छा नहीं कहेंगे
5 उस पर कोई टैग नहीं होगा
6  बहुत कलरफुल भी नहीं होंगे
पर बहुत अच्छे होते हे हमारा बचपन एसे ही बिता और भी बहुत कुछ कहा मेने घर के पजामो के विपक्ष में ही बोला। कबीर  बहुत धयान से सुनते रहे फिर बोले माँ आप मेरे लिए घर पर ही पजामे बनाओ में पहनूंगा। में खुश हो गयी एक सूती कपड़ा था जो मेने ख़रीदा था कभी यही सोच कर की कबीर के पजामे बनाउंगी ।पर जब यह समज आया की बच्चे बहुत संवेदन शील होते हे और जो पसंद आये वही पहनेगे।  कुछ और पहना दिया तो दिनभर रोना चल सकता हे ।

मेने पजामे बनाना शरू किया और कबीर के ढेरो सवालो के जवाब देती रही। सब से पहले तो सिलाई मशीन से सम्बंधित ढेरो सवाल। कबीर  ने मशीन की पूरी शिनाख्त की देखा भाल की इस प्रक्रिया में सिलाई को कई बार विराम देना पड़ा । मेरे लिए भी एक समय तो लगा की ये सिलाई मशीन एक दम अजनबी हे ऐसा जान पड़ा। खेर हम बातें करते गये और आगे बढ़ते गये।  मुझे बहुत सारे नए नए सुझाव मिल रहे थे। बिच बिच में मशीन बंद करनी पड़ती जब उत्सुकतावश कबीर मशीन के आंतरिक भाग को छूने पर मजबूर हो जाते और में बेबस। खेर यह यात्रा बहुत सुखद रही बिना किसी जान मॉल के नुकसान के हम अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुचे एक पजामा बना की कबीर ने बहुत  मन से पहना कोई कमी नहीं निकाली मेरे ली ये ये अनमोल पल थे।  और अति उत्साह में मेने तीन पजामे और बना दिए। यह लोक डाउन बहुत उपयोगी हे।

Picture of Dr. Anju Gurawa

Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

Leave a Replay

(1) Comment

  1. Sachin Kain

    Dr. Anju Gurawa stands for commitment, compassion, courage, confidence and creativity. She is pro active experimental and a great learner, which make her unique in her own way. Her Journey has been very tough but her everyday sacrifice for learning has been more than that.

Leave a comment

Sign up for our Newsletter

We don’t spam you and never sell your data to anyone.