EK PATNI KA PATRA

इस लेख को लिखने की प्रेरणा मुजे गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर से मिली । बस संदर्भ आज का  है । यह एक पत्नी का पत्र है अपने पति को।  दूसरी महिला के चक्कर मे पड़े आधे बूढे बचकाने पति को जब वो उसको 10 साल की शादी के बाद पत्नी से पूछता है कि उसके लिए किया क्या है? तब लिखती है पत्नी जवाब पति को । एक बचकाना अधेड़ उम्र का पति जो कि पिता भी है जब किसी अतिरिक्त विवाह संबंधों के प्रेम में पड़ गया जिसको की  बच्चो की समज नही। समाज का डर नही बस अपनी दुनिया मे सोचता है वो सही है और कोशिश करता है दुनिया उसको सही माने। सारे प्रयास भी करता है कि दुनिया की नज़र में एक अच्छा आदमी बने खेर प्रयास तो कोई भी कर सकता है और किसी को भी कुछ भी बनने का हक है। पर नादान अपनी  पत्नी से पूछता है तुम ने किया क्या है मेरे लिए? तब पत्नी जवाब देती है कि वो जो अभी प्रेमिका की भूमिका में बहुत उपयुक्त लग रही है वो जब तुम्हारे बच्चो को नेपिया बदलेगी, जब तुम निकम्मो की तरह उसका काम बढाते रहोगे। उसके घर के काम मे सहयोग नही करोगे। तुम जो एक बहुत ही मतलबी इंसान हो और अपने मतलब के लिए उसको इस्तेमाल करोगे तब उसका चिड़चिड़ापन क्या होगा पतिदेव को अभी इसका अंदाज़ा नही है । वैसे भी जब कपड़े धुले हुए इस्त्री किये हुए मिलजाते है। खाना टेबल पर आ गया। साहब सुबह उठेंगे फिर राजा बाबू की तरह निकल जाते है लहसुन खाने के लिए(परनारी की वासना कबीर का ये दोहा आप पाठक जरूर याद रखे) ओर राजा बाबू को यह पता नही दूध कब आया बच्चे कब स्कूल चले गए। बच्चो की पी टी एम कब ही गयी इस निकम्मे, बचकाने, लापरवाह,  गैर जिम्मेदार, फेसबुकिया पति ओर पिता को मालूम ही नही चला। फल सब्ज़ियां कब आगई घर का सामान कब आया इसका अंदाज़ा है तुम को । बाजार का काम कब कैसे हो गया। बच्चो की फीस कब दे दी गयी। मेड पेमेंट कब का हो  गया। फिर पत्नी कहती है तुम्हारी गाड़ी जो के मेरे पिता ने तुम को दिलवाई है उसकी बगल वाली सीट पर बैठी  तुम्हारी बन्दरी बहुत अच्छी लगती  है अरे आधे बूढे प्रेमी बच्चो के बॉप जब ये प्रेमिका तुम्हारी मम्मी की गन्दी गन्दी गालियां  कई कई घण्टो महीनों सालो सुनेगी तब बात करना कैसी क़ट रही है ।

और  जो तुम्हारी मम्मी ओर हमारी सास जो टाइम  सेट कर के तुम्हारे पीछे से गन्दी गंदी स्तर विहीन गालियां जो  सुनाती है जिनको सुनने की हिम्मत किसी मे नही हो सकती और  जब तुम्हारी तोतली माई प्रेमिका की तुम्हारी माँ,  माँ बहन एक करेगी तब तुम कितने रोमेंटिक गाने इसके साथ बेठ कर सुनोगे इसका मज़ा आना अभी बाकी है पर कुछ ज्यादा दूर नही है। पत्नी कहती है कुछ लेखक है एस्थेर पैरेल या वीना वेणुगोपाल, सुज़ेन शैली हेल्फवर्थ, डेनिश हसनैन  को ज़रा पढ़ले जो ज़हरीली सासु के बारे में लिखते है। या फिर चुप चाप अपनी मम्मी की सारी कलाबाजियां जो की वो तुम्हारे जाने के बाद बहु के साथ करती देखले एक दिन मम्मी को कहे कि में जारहा हु ओर घर मे ही कही छुप जाए। वैसे घर मे छुपना मुश्किल है क्यो की तुम्हारी मम्मी ओर मेरी सासु जी कोई काम आधा अधूरा नही छोड़ती पहले देखती है भालती है फिर ही चुन चुन कर बहु के मा बॉप भाई बहनों को एक एक कर गाली बकती है। बेचारी बहु का पूरा  का पूरा आत्म सम्मान तार तार करती है।वो तो शुक्र है इस पढाई लिखाई का ओर मार्टिन लूथर किंग जूनियर के सिविल राइट मूवमेंट का , मंडेला का फुले, अंबेडकर, पेरियार, कबीर, ओर भी क्रांतिकारी लोगो का  के बहु अपने आत्मबल को चट्टान बना लेती है। अपने बेटे के पीछे से बहु को प्रताड़ित करना कुटिल सास का प्रिय तरीका है। अपने पद का नाज़ायज़ फायदा उठाती है अपनी उम्र और पद का दुरुपयोग करती है।यह तो सासु जावित्री का बहुत कारगर हथीयार है ।पर अब पुराना हो गया बहुये ज्यादा एडवांस है अब। खैर हॉ तो पत्नी ने जवाब दिया। शादी को 10 साल हो गए । क्या किया मेने ? तो सुनो। कुल 3650 दिन 87, 600 घन्टे, 5,25,6000 मिनट मेने काम किया। तुमको समाज मे इज्जत दी। एक रुतबा दिया। तो शायद जानते ही होंगे कि जीनके घर शीशे के बने होते है वो दूसरो के घरों  पर पत्थर नही मारा करते।अब आप हिसाब लगावो  इसका मेरा कितना पैसा बनता है । पत्नी जवाब देह है बचकाने, अनुभवहीन पति तुम पूरा जीवन मेरी गुलामी करो तब भी नही चुका पाओगे. जी हां पूरा जीवन खाना बनाना ,कपड़े,घर की देख रेख, बच्चो की देखरेख, फिर पैसा दिया, तुमको  समाज मे इज्जत दिलाई,तुंहरी मम्मी की 10 साल गलियों को सुना 100 करोड़ बार सुना फिर भी उफ तक नही किया।शुक्र है  100 नंबर नही बुलाया। इसका पैसा बनता है 100 करोड़ रुपये जो मेरे हक के है।जो तुमको देने है मेरे एक एक पल की कीमत । जो कि बस छोटी सी रकम है । साड़ा हक इत्थे रख। फिर तू जा किसी तोतली बन्दरी के पास या फिर शादी कर किसी भी 12 साल की लड़की से दहेज ले जितनी मर्जी शादियां कर एक हज़ार या बन्दरी से  चिपक मुजे क्या। साड़ा हक इत्थे रख।

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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