मेरा पढ़ने में बहुत मन लगता था
मुजे किताबे अच्छी लगती थी
घर का काम जैसे कि खाना बनाना
जाडू पोंछा सब के कपड़े धोना
ओर भी बाकी सब काम पसन्द नही था।
बिल कुल भी नही
फिर भी मा की बात मान क़र बीच बीच मे
में काम कर दिया करती थी।
पर मेरा मन पढ़ने में
कीवताये लिखने में
उपन्यास पढ़ने में
वैज्ञानिक खोज को पढ़ने में
लगता था एक सपना आए एएस टॉप करना है
लोगो के जीवन मे बदलाव लाना है
देश की कमान संभालनी है
जब पिताजी ने मुजे
स्मार्ट फोन दिया तब में इस बात से खुश थी की
अब मुजे दुनिया का सारा ज्ञान मिल गया
अब करंट अफेयर्स की कोई परेशानी नही
अब ऑडियो बुक्स
डिजिटल लाइब्रेरी
पूरी दुनिया का ज्ञानमेरे पास था
मुजे यु ट्यूब पर
मेरे नावेल की वीडियो देखना
किताबो के रिवयू पढ़ने का खजाना मिल गया
किताबे जो मेरे पास नही वो भी पड़
सकती थी
अब तो किंडल की जरूरत भी नही
अब मेरी दुनिया ही बहुत अच्छी हो गयी
अब मा कोई काम कहती तो
फट से अपनी ऑडियो बुक लगाई कान में
सुनते सुनते सारा काम कर लेती
अब काम को बुरा नही लगता
ऑडियो बुक्स थी ना
मेने हाज़रो ऑडियो बुक्स सुन ली
ऑडियो बुक्स

अच्छे अच्छे साक्षात्कार
प्रश्न पत्र
सब कुछ मेरे पास
मुजे कुछ नही चाहिए कोई कोचिंग नही
में कलेक्टर बन कर दिखाऊँगी सिर्फ एक फ़ोन से
बस जीवन का एक मकसद
कलेक्टर बनना है
आज तक सब परीक्षा में प्रथम
आएएएस भी प्रथम
में जीवन का सब से बड़ा दिन जीस दिन
मुजे ऑडियो बुक्स का पता चला मेरी तो
दुनीय ही बदल गयी
अब बस में ओर मेरी ऑडियो बुक्स
कोई काम बुरा नही लगता किताब का साथ तो था ना
पर तब ही कुछ अच्छा नही हुवा
कोई रिश्ता आया मेरे लिए
घर मे  पसन्द आ गया
मुजे वैसे भी इस घर से कभी न कभी तो जानाआ ही था
ऐसा में लाखों बार सुन चुकी थी
खेर रिश्ता तयः हुवा
में कुछ कहने लायक भी नही थी
मेरी कोई सुनता भी नही ओर कोई मानता भी नही
अब ले दें कि बाते होने लगी।
मांग सुन कर में बहुत डर जाती
कभी 20 लाख
30 लाख
ये कार वो घर
इतना सोना इतना चांदी
बॉप रे बॉप
इस से बहुत कम में मा कोई घर मे काम वाली लगा कर मुजे पड़ने का मौका दे देती तो में आज आए   एएस
टॉप क़र के दिखा देती खेर जो नही हो सकता था उसकव सोचना क्यो।
शादी हुई।
पति को 20 लाख की कार
नकद 20 लाख
सास को 10 लाख के जेवर
बड़े जेठ को 5 लाख का सोना
ओर मुजे भी जेवर मिले करीबक़रीब 20 लाख के
जो सीधे सा स के हातो में गए।
में बहु बन क़र गयी
अब कोई किताब नही

कोई ऑडियो बुक नही
यहां तक फ़ोन भी सिर्फ बात करने के लिए मिलता था।
ओर दिन भर जो बाते सुनती
तेरा बॉप भूखा है
मगता है तेरी मा नीच खानदान की है।
तू भूखे घर की है
तू नगे घर की है
तू हमारे लायक नही
तू किसी काम की नही
तू जबर्दस्ती इस धर में आगयी
तूने हमे बर्बाद कर दिया
तू मेरे बेटे को खा जाएगी
तू भाग यहां से
तेरा कुछ नही यहां
हम तुजे नही रखना चाह्ते
में तो दूसरी शादी करुंगी अपने बेटे की
हम को कुरूप बहू मिल गयी
मेरे बेटे का जीवन बर्बाद हो गया।
जब कि मेरे घर के पैसों से इनके जीवन मे बहार आगयी
बिना कुछ किये इनका घर बन गया गया
बिज़निस खड़ा हो गया
सब कुछ मेरे घर के पेसो से हो गया।
में पागल होने लगी
दिन भर उन बातों से तानों से
मेरा दिमाग फटता
नही सुन सकति बिकुल नही
मुजे सिर्फ अपनी पहचान में एक शब्द याद रहा
भिखारन
मेरी सास मुजे सिर्फ इसी नाम से बुलाती
भिखारन
भिखारन
में कब भिखारन बन गयी मुजे ही नही पता।
एक दिन माँ के घर वापस आगयी।
अब तो कोई फ़ोन भी नही
कोई इस घर मे भी जगह नही
मा पिता नही रहे
अब भाई भाभी भी रखने को तैयार नही
में कुछ नॉकरी करू
कैसे जिऊँ

बस एक शब्द याद रहता है।
में भिखारन में भिखारन
में कब भिखारन बन गयी मेने कब खुद को भिखारी मांन लिया मुजे खुद नही पता।
अब में इस बात को ही जानती हूं कि में भिखारन

Picture of Dr. Anju Gurawa

Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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