बाबू रेल में या जेल में

हमारे समाज में महिलाओं को हर बात में भाषा में व्यवहार में रूस की कामकाज में एक अलग तरह की समझ ली जाती है| जिसमें कि उसको पराई होने का एहसास होता है| उसको फालतू होने का एहसास होता है |उसके पास काम नहीं होता है और  भतेरी जैसे नाम भी होते भतेरी  का मतलब होता बहुत सारी|

 जब लड़कियों के ऊपर अत्याचार बढ़ने लगे तो कानून में सुरक्षा दी गई और अलग से नियम बनाए गए जहां उनकी पुलिस थाने अलग से हो अलग से कानून व्यवस्था अलग तरह के कानून और कुल मिलाकर महिलाओं को सुरक्षित किया गया लेकिन

 उससे ज्यादा अच्छा नुकसान हो जाता है |हाथरस की बेटी वाल्मीकि समाज की एक बहुत होनहार पढ़ने वाली लड़की थी जिसे खत्म कर दिया गया मार दिया गया अगर कोई लड़की अच्छी बढ़ रही है तो उसको किसी भी तरह से खत्म कर देते| अकेली महिला का जीना इस समाज में दुश्वार है इसे समाज के भेड़िए हैं तो उसे अकेला कर के नोट के खाने में लगे रहते हैं|

 यह जो कहावत है बाबू रेलवे या जेल में ह उन लोगों के लिए कहावत है जो महिलाओं को प्रताड़ित करते हैं और शादी बिहा जो कि एक समाज का बहुत अच्छा रूप है उसका गलत इस्तेमाल करते हैं विवाह में जब लड़की किसी दूसरे के घर जाती है तो उस घर के लोगों का वह साम्राज्य होता है और वहां पर एक नए घुसपैठियों को अपनी तरह से देखते हैं महिला की स्थिति एक नौकरानी काम करने वाली या ऐसी वस्तु जिसका कोई नहीं है |उसका इस्तेमाल करो और उसके अलावा जो प्रताड़ना उसको झेलनी पड़ती है उसकी पढ़ाई रुक जाएगी और कोई उन्नति नहीं हो सकती और यही कारण है कि समाज में पुरुष काम लेता है और महिला काम देती रहती है|

 यह जो कहावत है शायद उन लोगों के लिए ज्यादा सही है जो कानून की धज्जियां उड़ाते हैं जो महिलाओं को प्रताड़ित करते हैं और विवाह के बाद जब लड़की को उसका हक नहीं मिलता तब फिर वह कहीं पुलिस स्टेशन में पहुंचती है और अपने हक की बात करती है और शायद पुलिस थाने इसलिए बैठे हैं कि वह हक की बात करें हक दिलाए और जो नहीं मानते हैं बाबू वह या तो रेल में जाते हैं या फिर जेल में यह समाज का वह घिनौना चेहरा है|

 जो महिलाओं को प्रताड़ित करने उन्हें अकेला करने और बर्बाद करने में लगा रहता है कुल मिलाकर हमारे पूरे समाज का नुकसान है शादी के बाद साथिया दे वरना ना कोई भी अपने व्यवहार को और हक को छोड़ने को तैयार नहीं है और इसका खामियाजा उस नई आने वाली लड़की को भुगतना पड़ता है जिसका नवघर है ना उस पर कोई हक है आधे से ज्यादा उम्र उसको इस बात में निकल जाती है कि किस तरह से बाहर जाए|

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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