दिल्ली का प्रदूषण ग्यारह सौ करोड़ की सोच

हम जीवन में जो भी काम करते हैं उसका कोई न कोई परिणाम होता है छोटी सी छोटी या गया काम भी किसी किसी परिणाम के रूप में हमारे सामने आता है

  1. तेरे मोहल्ले के लोग एक जगह थोड़ी थोड़ी प्लास्टिक की थैलियां डालने लगे तो 1 हफ्ते में वहां कूड़े का ढेर बन जाएगा और उस देर में से बहुत सारी बदबू कीड़े और गंदगी आसपास फैले लगेगी वहां कुत्ते गाय और बाकी जानवर आ जाएंगे इसका सीधा-सीधा परिणाम आसपास की हवा और वहां के रहने वाले लोगों के जीवन पर पड़ेगा और बिना यह जाने कि जो वह थैलियां और गंदगी फेंकने अपने आसपास भी गंदगी उनकी सांसो में उतर रही है वह लोग बेरोकटोक इस काम को करते रहेंगे

  2.  अगर हम अपने निजी जीवन में स्वच्छता नहीं रखेंगे तो कहीं ना कहीं बीमारी किसी न किसी रूप में आएगी और उस बीमारी के परिणाम आपके परिवार के अन्य लोग भी उस से ग्रसित होंगे पैसा समय और सब कुछ आपको देना पड़ेगा

  3.  अगर आप ट्रैफिक में ठीक से नहीं चलते हैं तो कहीं ना कहीं आपकी वजह से कोई और एक्सीडेंट होगा और उससे एक परिवार का अच्छा खासा हंसता खेलता परिवार खत्म हो सकता है हो सकता है वह मरने वाला व्यक्ति एक छोटे से बच्चे का बाप हूं अपनी मां का इकलौता बेटा हो या एक ऐसा इंसान हो तो बड़ी मुश्किल से मेहनत करके आगे बढ़ने की सोच रहा था और यह उसके सपनों की मौत होगी

  4.  अगर हम हमेशा दूसरों के कामों में टांग अड़ा ते हैं और लोगों की निजी जिंदगी के बारे में जागते रहते हैं तो कहीं ना कहीं लोग आपसे इस बात से खफा होंगे और आपके जीवन में भी एक न एक दिन इस तरह की परेशानी जरूर आएगी जिससे कि आपको अपने निजी जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ेगा

  5.  दिल्ली के प्रदूषण से संबंधित यह सारी बातें छोटी छोटी बातें हैं जो हर व्यक्ति हर इंसान के दिमाग में होनी चाहिए वह सड़क पर रहने वाला रिक्शा चालक हो या एक स्टूडेंट हो या एक 5 साल की बच्ची हो या फिर एक ग्रहणी हम जब कूड़ा फेंके या जब सड़क पर गाड़ी स्टार्ट करके खड़े हैं हम ट्रैफिक में खड़े हैं तो हमारे दिमाग में एक बार लगातार होनी चाहिए कि क्या मैं ऐसा कोई काम करूं जिससे कि कम से कम अगर गंदगी  साफ ना हो तो कम से कम फैलने से रुके

  6.   समाज के 80% लोग गैर जिम्मेदार और कुछ लोग सारी जिम्मेदारी उठा कर चलते हैं उसे कभी भी इस समाज का भला होने वाला नहीं है जब तक हमारे देश का हर इंसान जो कि समझने लायक है या काम करने लायक है और समाज का हिस्सा है अपनी जिम्मेदारी को हर एक पल नहीं निभाएगा तब तक हम इस देश में बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते बड़े-बड़े भाषण देने से किताबें लिख देने से और अपने आप को साफ सुथरा साबित कर देने से कुछ नहीं होने वाला

  7.  क्या दिवाली पर पटाखे चलाते हुए हम यह सब नहीं सोच सकते हैं कि एक शांत तरीके से कुछ अच्छा करके दिवाली मनाई जाए जिसमें की नाच गाना हो या आपस में मोहल्ले में कोई मीटिंग हो कोई डिबेट कंपटीशन हो जिसमें की एक भी पटाखा ना चलाया जाए लेकिन यह शायद संभव नहीं है

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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