दक्षिण भारत में रावण की पूजा

रावण को एक नकारात्मक चरित्र बनाकर उसके बारे में समाज में वह सब कुछ लिखा गया और समझा समझाया गया जिसमें कि उसको सब तरह की बुराइयों से नवाजा गया और राम को अच्छा बनाने के लिए रावण को बुरा बनाना जरूरी है अब सारे समय जब 9 दिन की रामायण चलती है तो उस रामायण में वही घिसे पिटे डायलॉग्स होते हैं और उसमें एक बात निश्चित की जाती है कि अंत में राम हीरो की तरह निकल कर आए और उसके लिए सारे चरित्र जो आसपासउ सी तरह से रचे जाते हैं राम कि वह राम को एक हीरो बनाते हैं

नई पीढ़ी के बच्चों को भी इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि वह राम को अपना आदर्श मानने और राम की तरह रहना सीखें लेकिन इतिहास में हम इस बात को नहीं नकार सकते कि रावण कैसा प्रशासक था रावण कैसा इंसान था रावण का पारिवारिक जीवन कैसा था और रावण का राज्य के साथ  था रावण के राज्य में आर्थिक व्यवस्था कैसी थी वहां की जाति व्यवस्था कैसी थी महिलाओं की स्थिति कैसी थी और बच्चों और बूढ़ों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता था किसी भी राज्य की कल्पना मानव कल्याण में तभी कर सकते हैं जब समाज के हर वर्ग तब के उम्र भाषा क्षेत्र और धर्म की रक्षा की जाती है क्या रावण के राज्य में एक समभाव की स्थिति थी क्या रावण की जनता आर्थिक और सामाजिक रूप से सफल थी क्या रावण के राज्य में गुनाह कम होते थे और गुनहगार को सजा मिलती थी इस तरह से पूरे चरित्र को सिर्फ एक कहानी पर समेट लेना कि उसने सीता का हरण किया और उसके बाद वह पूरा बचपन से लेकर अंत तक वह एक नकारात्मक चरित्र यह दिखा देना समाज की एकतरफा सोच देती है और यही सोच आगे बढ़कर उस भीड़ में बदल जाती है जो किसी को भी सड़क पर खड़े खड़े मार देते हैं या फिर एक तरफा शो जिसमें कि दूसरा पक्ष सुना ही नहीं जाता

रावण का एक दूसरा पक्ष भी सुना जाना चाहिए और समाज में एक नया विचार होना चाहिए कि जो आपके विरोधी है जो आप के पक्ष में नहीं है उनकी क्या राय है और समाज में किसी भी राज्य में अच्छा राजा वही होता है जो समाज के हर तबके को आर्थिक सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक शैक्षिक भाषाई धर्म और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए समाज के हर तबके का विकास करें

आज भी आप देखेंगे कि उत्तर भारत से ज्यादा दक्षिण भारत के लोग पढ़े लिखे हैं वहां पर सभी तरह के सामाजिक क्रांति या राजनीतिक और किसी भी स्तर पर अनुसंधान विकास उत्तर भारत से अलग अलग हुआ है और इसी तरह से इस बात को ध्यान में रखते हुए कि दूसरे पक्ष को सुनना है और उसके पक्ष में जो अच्छी बातें हैं वह हमको लेनी है यह ज्यादा जरूरी है एक तरफा रवैया सोच आगे जाकर बहुत जबरदस्त समाज में टकराव की स्थिति पैदा कर देगी जो कि किसी भी तरह से उचित नहीं है

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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