द पुणे ऑब्जर्वर दक्कन वीक ली इस सामने इतिहास में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है हिंदू संस्कृति में और एक नई क्रांति का आगाज कर दिया है| 1966किताब लिखी जिसका नाम है क्रांति देवता सावित्रि बाई फूले | सावित्रीबाई फूले 3 जनवरी 1831 में नया गांव में पुणे सतारा रोड पर पैदा हुई सावित्रीबाई फूले 3 जनवरी 18 से 31 को नया गांव जो कि पुणे सतारा रोड से 5 किलोमीटर स्थित है कहां पैदा हुई|
खा डो जी नवासे पाटिल के पिता का नाम था| 1840 में 10 साल की उम्र में उनकी शादी ज्योतिराव फूले जो कि 11 अप्रैल 28 को 27 को पैदा हुए थे पुणे में हुई| सरकारी दस्तावेज़ जोकि अंग्रेजो के दस्तावेज़ थे 1 मई 1851 से आधार पर यह कहा जा सकता है कि 22 नवंबर 18 सो 91 में मुंबई गार्जियन में छपी एक आइटम के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सावित्रीबाई की शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा ज्योति राव फुले ने करवाई तथा बाद में उनके दोस्त सखाराम यशवंत और केशव शिवराम भवलकर जोशी ने आगे मदद की|
19 अक्टूबर 18 सो 82 में हंटर कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि उस जमाने में कोई भी ऐसा स्कूल नहीं था जो भारतीय शिक्षा दीक्षा देता था| एजुकेशन बोर्ड के चेयरमैन अर्थ अरस्किन पैरी जो कि ब्रिटिश सरकार के सेक्रेटरी भी थे अंग्रेजों एक अन्य अँग्रेज़ अधिकारी लूमसडन ने कहा कि एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है और शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति की जा रही है | 15 सितंबर15 सितंबर 1853 में ध्याज्ञानोदय को दिए एक साक्षात्कार में ज्योतिबा फूले ने कहा कि मेरे दिमाग में यह आया कि अगर हमें बच्चों को अच्छा बनाना है तो सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है उनकी मां की खुशी और उसके सुधार की और जब तक हम महिलाओं के शिक्षा दीक्षा और उनके ज्ञान की वृद्धि और उनकी देखरेख ठीक से नहीं कर पाएंगे तब तक हम किसी भी बच्चे को एक बेहतर भविष्य नहीं दे सकते हैं और इसमें लड़कियों की शिक्षा को ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि एक लड़की की बड़ी बाद में जाकर मां बनती है और वही मां अपने बच्चे की देखरेख करती है तो सबसे ज्यादा गर्म हो जाता है|
लोग अपनी लड़कियों को शिक्षा के लिए भेजने के लिए राजी नहीं थे परंतु जीवात्मामहा ने अपने भाइयों को इस बात की फायदे और लड़कियों की लड़कियों को लड़कियों को शिक्षा के लिए तैयार किया| ज्योति राव फूले जब मात्र 21 साल के थे तब उन्होंने अछूतों की लड़कियों के लिए शिक्षा दीक्षा का काम शुरू कर दिया और अपनी पत्नी को साथ लेकर के वह लड़कियों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में लग गए ज्योति इस तरह से ज्योति राव फूले सावित्रीबाई फूले ने एक स्कूल में काम किया और वहां पर उस समय के अखबार में लिखा गया लड़कियों की शिक्षा दीक्षा में काम में लगे हुए हैं अखबार जाति से आते हैं परंतु उन्होंने शिक्षा के लिए बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया है|
इसी बीच ज्योति राव के पिताजी गोविंद राव ने ज्योति राव व सावित्रीबाई को अपने घर से निकाल दिया और मुंशी गफ्फार बैग व सर लिखित ने बाद में देखा कि इनके अंदर जो आग है और इस तरह से 1848 में मुस्लिम लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया गया | मैं अपने लिए 5 फरवरी 18 से 52 की मुंबई इकाई के दस्तावेज़ों के आधार पर ज्योतिराव फूले ने सरकार से अपने स्कूल के लिए आर्थिक मदद मांगी इस पत्र के साथ दूसरा पत्र संलग्न था जो कि नेचर स्कूल की कॉलेज स्कूल के प्रिंसिपल कॉलेज स्कूल के कॉलेज के प्रिंसिपल औरखेरवाड़ा खेरवाड़ा रास्ता पेठ ऑर्बिटल पेट में 3 जुलाई 18 नवंबर 18 और 15 मार्च 18 को लड़कियों के लिए स्थापित किए गए कैंडी स्कूल पूना कॉलेज के प्रिंसिपल का था किसने की आर्थिक मदद की दरकार की गई और इस पत्र के आधार पर पहले तीन स्कूल लड़कियों के लिए शुरू किए गए 3 जुलाई 18 से 17 नवंबर 18 मार्च इन जगहों पर और इस पत्र की दूसरी कॉपी जिसमें की मेजर कैंडी स्कूल की प्रिंसिपल मेजर कैंडी स्कूल|
आधार पर मुंबई आर्काइव में मुंबई में उपलब्ध दस्तावेज़ों के आधार पर 15 फरवरी अट्ठारह सौ बावन को ज्योतिराव फूले ने आर्थिक सहायता के लिए सरकार से मदद मांगी जिसमें कि वह अपनी शिक्षा की संस्था के लिए मदद मांग रहे थे और इस पत्र के साथ दूसरा पत्र और संलग्न था जो इस बात की पुष्टि करता था कि ज्योति राव फूले के द्वारा चलाए गए स्कूल को आर्थिक सहायता दी जाए| मुंबई में मुंबई में प्राप्त दस्तावेज़ों के आधार पर 5 फरवरी अट्ठारह सौ बा-वन को ज्योतिराव फूले ने अपने शिक्षण संस्थानों की मदद के लिए सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई और आर्थिक सहायता की दरकार करने के लिए मेजर केंद्र पुणे कॉलेज के प्रिंसिपल का पत्र भी था इसके आधार पर लड़कियों के लिए तीन स्कूल खोले गए 3 जुलाई 18 51, 17नवंबर 1851, 15 मार्च 1852 मार्च में स्थापित किए गए|