1831 में नया गांव सातारा डिस्ट्रिक्ट में गरीब परिवार में पैदा हुई सावित्रीबाई फुले| 1840 में ज्योतिराव फुले से उनकी शादी हुई मात्र 9 साल की उम्र में | 1841 में ज्योति राव फुले ने उन्हें शिक्षित करना शुरू किया| 1848 में पहली महिला शिक्षक बनी पहला लड़कियों का स्कूल पुणे में स्कूल खोला मात्र 18 साल की उम्र में 1848 में बड़ी उम्र के लोगों के लिए के लिए उसमान शेखवाडा में एक स्कूल की स्थापना की 1852 में स्कूल इंस्पेक्शन कमेटी (अंग्रेजो के द्वारा स्थापित की गई स्कूल इंस्पेक्शन कमेटी) ने उनको अपनी शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को शिक्षित करने के योगदान में सम्मानित किया| इस बार के अंग्रेजी दस्तावेजों में मिलते हैं| अंग्रेजों ने अपने जमाने में शिक्षा की नीति में जो कमेटियां बनाई उनमें इन सब बातों का जिक्र होता है कि सावित्रीबाई फुले और ज्योति राव फुले ने भारत में शिक्षा के में कितना बड़ा योगदान दिया| सावित्रीबाई फुले को अंग्रेजो के द्वारा शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन करने के लिए कई बार सम्मानित किया गया महिलाओं की शिक्षा के लिए भी सावित्रीबाई को अंग्रेजो के द्वारा सम्मानित किया गया सारा रिकॉर्ड अंग्रेजी दस्तावेजों में मिलता है|
1853 है विधाओं की बच्चों के लिए एक घर की स्थापना की| यह अपने समय का पहला ऐसा मैटरनिटी हो या बाल शिशु ग्रह कहा जा सकता है जिसमें कि उन विधवा महिलाओं के बच्चों को रखा जाता था जिनके पति की मृत्यु के बाद परिवार के अन्य पुरुषों के द्वारा लगातार होने वाले बलात्कार के बाद यह भी दबाए गर्भवती होती थी और गर्भवती होने के बाद इनको अपने ही बच्चे को मारने पर मजबूर किया जाता था उसके बाद इनको कुलटा , डायन, छिनाल, अपवित्र, का तमगा देकर कभी जिंदा जला दिया जाता कभी जिंदा मार दिया जाता या बीमार करके सड़क पर भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाता था |ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले ने इन विधवाओं की बच्चों के लिए आश्रम बनाएं तथा अट्ठारह मेटरनिटी होम बनाए जिसमें यह विधाएं आकर अपने बच्चे को जन्म देकर छोड़ कर जा सकती थी जब सावित्री देवी यह अपने समय में 18 से अधिक इस तरह के मेटरनिटी होम चला रही थी जो कि बच्चों के लिए समाज में पति की मृत्यु के बाद बार-बार होने वाले शारीरिक शोषण के बाद पैदा होते थे| इन विधवाओं में ज्यादातर सवर्ण जाति की महिलाएं होती थी क्योंकि सवर्ण जाति में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को शादी करने का अधिकार नहीं था|
1854 में अपनी कविताओं का पहला संग्रह काव्य फूले प्रकाशित किया मराठी में| 1855 में किसानों व मजदूरों के लिए स्थापित स्कूल में शिक्षा देने का कार्य किया| अच्छों के लिए के लिए| 1868 में शूद्रों, अछूतों के लिए के लिए के लिए के लिए ए कुआं खोदा जिससे कि वह पानी ले सके| 1877 में खाना परोसने के लिए खाना खिलाने के लिए ग्रह खोले जिसमे की अछूतोंऔर शूद्रों को खाना दिया जा सकता जो कि अकाल से मर रहे थे जिसमें कि अकाल से प्रभावित थे| अकाल ने प्रभावितों को खाना दिया जाए|
1890 में मृत्यु भोज की मृत्यु भोज के विरोध में हिंदू रीति रिवाज से मृतक संस्कार के विरोध में ज्योतिराव फुले का दाह संस्कार किया उनके बेटे वसंतराव के साथ| 1997 में मरने वाले लोगों की सेवा की 1807 में मरने वाले लोगों की सेवा करने वाले लोगों की 18 सो 97 में प्लेट में मरने वाले लोगों की सेवा की 18 सो 97 में प्लेग की बीमारी की चपेट में आकर सावित्री देवी ने अपनी अंतिम सांस ली |
सबसे बड़ी पूंजी: सावित्रीबाई फुले
मूर्ख है वह जो जमीन को जोतते हैं|
मूर्ख है वह जो जमीन की बुवाई करते हैं|
ऐसा मनुस्मृति में कहा गया है|
ऐसा उन लोगों के द्वारा कहा गया है जो धर्म की ठेकेदारी लेते हैं|
अपने श्रम और अपनी जमीन को बर्बाद मत होने दो|
जो अछूत पैदा हुए हैं जो अच्छे हैं|
वह सब अपने जीवन का कर्ज चुका रहे हैं|
ऐसा ब्राह्मणों का कहना है|
और पूर्व जन्म में जिन्होंने जो पाप कर्म किए हैं
उसकी सजा भुगत रहे हैं|
यह समाज असमानता पर आधारित है|
जो अमानवीय है वह फायदे में रहता है|
और जो चालाक है होशियार है वह|
सारा फायदा उठाता है|
यह कविता अट्ठारह 1 1988 में सावित्रीबाई फुले द्वारा लिखी गई
महाराष्ट्र राज्य साहित्य संस्कृति मंडल मुंबई
अंग्रेजी सीखो
निर्भरता अपने काम को बनाओ
अपने आपको हद से गुजर जाने दो
ज्ञान के भंडार पाने के लिए
जिनके पास ज्ञान नहीं है वह मूर्ख रहते हैं
मत बैठो मेहनत करो अपने आप को पढ़ने लिखने के लिए
संभावना यही है
शुद्र औरअति सूत्रों के लिए शूद्रों के लिए
अंग्रेजी सीखो
अपने सारे दुखों को दूर करने के लिए
उस मालिक को उखाड़ फेंक हो
जो ब्राह्मण है और जो तुमको सिखाता है
जाति के बंधन को तोड़ दो |
अंग्रेजी सीखो |