यज्ञ नारायण पांडे

जीवन में उन लोगों का बहुत अधिक महत्व होता है जिन्होंने जिंदगी के अनुभव के आधार पर शिक्षा ली है जो सिलेबस और किताबें हम किसी स्कूल या कॉलेज में पढ़ते हैं उसमें वह सब नहीं मिल पाता जो जीवन के कड़वे अनुभवों और जीवन को करीब से जान कर मिलता है और ऐसे लोगों का साथ जब आपको मिलता है और उनसे बात करने का या उनके साथ ज्ञान साझा करने का मौका मिलता है तो आप निश्चित ही अपने जीवन को और अधिक सफल बनाते हैं यज्ञ नारायण पांडे दिल्ली विश्वविद्यालय में बहुत वर्षों तक काम करने के बाद अपने क्षेत्र में उस हद तक सफलता प्राप्त की कि उनके बिना काम चलना मुश्किल होता है

 उनके जीवन का अनुभव और मित्र से संबंधित जानकारी निश्चित आपका जीवन बदल सकती है अगर आप उनको सुने |स्वभाव से बेहद विनम्र और अपने काम के प्रति बहुत अधिक लग्न रखने वाले यज्ञ नारायण पांडे दिल्ली विश्वविद्यालय के कई विभागों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं सिर्फ किसी डिपार्टमेंट में बल्कि दिल्ली विश्वविद्यालय के ज्यादातर कमेटी में या हॉस्टल में अपने अनुभव के आधार पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं और आज भी रिटायर होने के बाद विश्वविद्यालय को उनके काम और अनुभव की जरूरत है और वह आज भी अनवरत अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनसे बातचीत में बहुत सारी बातें ऐसी लगी जो कि समाज तक पहुंचने चाहिए और सबको जाना जरूरी है जैसे कि हम समाज को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और शैक्षिक या सांस्कृतिक तौर पर बैठते हैं लेकिन समाज को अगर आप आर्थिक तौर पर चरित्र के आधार पर देखें कितनी प्रतिशत जनसंख्या का हिस्सा कितना प्रतिशत हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देता है और आज कौन है जो कि इस स्थिति में बेहतर करने की कोशिश कर रहा है या व्यापार हो शिक्षा हो कैसी हो या सरकारी क्षेत्र हो इसमें कितना प्रतिशत लोग सरकार में सहयोग देते हैं या किस क्षेत्र में कितना कितना ज्यादा उतार-चढ़ाव है इस सारी बातें हमें पांडे जी से जानने को मिली मैंने पानी जी से पूछा कि क्या सरकारी क्षेत्र है और निजी क्षेत्र है उसमें किस तरह का फर्क आप देखते हैं उनको थोड़ा सीधा से जवाब था कि हमारे देश का कुल मात्र 4% जनसंख्या सरकारी क्षेत्र में सेवा क्षेत्र में आती है और यह प्रतिशत बहुत कम है और जो लोग रिटायर हो रहे हैं और उसके बाद अगर नई भर्ती नहीं है तो यह प्रतिशत आकर रुक जाएगा | आप व्यापार ले सकते हैं उसके अलावा किसान है जो कि हमारी अर्थव्यवस्था का 50% बनाता है बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपना खुद का काम करते हैं पब्लिक सेक्टर में आते हैं और इस तरह से किस तरह से आप अपनी सेवाओं को लेकर अपनी काम करने की जगह को बेहतर बना सकते हैं और पांडे जी लंबे समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग कॉलेज उसमें अलग-अलग डिपार्टमेंट में हॉस्पिटल में कई कमेटी के मेंबर रहे हैं और फाइनेंस इनका प्रमुख एरिया है और उसमें यह बहुत पारंगत है लास्ट लाइन न्यूज़ की तरफ से हम पांडे जी को बहुत सारी बधाई देते हैं उनके स्वास्थ्य की उनके परिवार की और उनके बेहद सुखद जीवन की

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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