में जानता हूं कि दुश्मन भी कम नही लेकिन। हमारी तरह हथेली पर जान थोड़े ही है ।। राहत इंदौरी

जा के कह दो कोई शोलो से चिंगारी से
फूल इसबार खिले है बड़ी तैयारी से।।
बादशाहो से भी फेके हुवे सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मागी है तो खुदाई से।।

जो आज साहिबे मसनद है कल नही होंगे।

किराएदार है जाती मकान थोडे ही है ।।
 
साखो से टूट जाये वो पत्ते नही हम
आधियों से कह दो की औकात में रहे
आंख में पानी रखो होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तकरीबे बहुत सारी रखो।।
एक ही नदी के है ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।।
शहरों में तो बारूदों का मौसम है ।
गावं चलो ये अमरूदों का मौसम है ।।
तूफानों से  आंख मिलाओ
 सेलाबो पर वार करो
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो
तैर कर दरिया पार करो।।
अगर खिलाफ है होने दो
जान थोडी है ।
 
ये सब धुवा है आसमान थोड़ी है ।।
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में 
 
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़े ही है 
हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत है
हमारे मुह में तुम्हारी ज़बान थोड़े ही है।
 
में जानता हूं कि दुश्मन भी कमनही 
हमारी तरह हथेली पर जान थोड़े ही है।
 सबकी पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए।
सोचता हूं कोई अखबार निकाला जाये।।
साहब पी के जो मस्त है उनसे तो कोई खोफ नही।
पी के जो होश में है उनको संभाला जाए।।
आसमा ही नही एक चांद भी रहता है यहां।
भूलकर भी कभी पत्थर न उछाला जाए।।
नए इवान की तामीर ज़रूरी है यहां।
पहले हम लोगो को मलबे से निकाला जाए ।।
कही अकेले में मिला तो जिंजोड दूंगा उसे
जहाँ जहाँ से टूटा है जोड़ दूंगा उसे
मुजे वो छोड़ गया है वो कमाल है उसका
इरादा मेने किया है कि में छोड़ दूंगा उसे।
फूक डालूंगा में किसी रोज़ ये दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नही को जला भी न सकू।।
राहत इंदौरी
Picture of Dr. Anju Gurawa

Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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