अगर आप मनुस्मृति पड़े तो सब बहुत सारी बातें ऐसी है जिसको की जाति व्यवस्था के आधार पर या महिलाओं के चरित्र के आधार पर कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता मनुस्मृति ऐसा दस्तावेज है जो मनुष्य को ऊपर उठने की वजह उसको नीचे गिराने की पूरी कोशिश करता है महिलाओं के चरित्र को तार-तार करने में मनु ने कोई कसर नहीं छोड़ी बहुत सारी मनु ने कही है महिलाओं के चरित्र को लेकर आप कभी भी इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते मानव सभ्यता के पतन का कारण मनु ने स्त्री को माना है स्त्री का कोई चरित्र नहीं होता श्री किसी भी हद तक गिर सकती है पुरुष चाहे भाई हो बेटा हो या पति हो स्त्री पर विश्वास नहीं कर सकता|
लेकिन फिर भी आप देखेंगे कि मनुस्मृति का बखान कहीं बड़े-बड़े विद्वानों के द्वारा किया गया इन मूलभूत बातों को नकारने की कोशिश की गई जो कि उन्होंने लिखा है जाति व्यवस्था का पूरा बखान मनु बहुत खुश होकर करते हैं जाति को समाज का एक आधार मानते हैं अगर जाति समाज का एक आधार है तो भारत के अलावा यह जाति व्यवस्था के लिए उपस्थित नहीं है और बाकी समाज कैसे चल रहा है इस बात का मनु के पास कोई जवाब नहीं है
निम्न जातियों के अवगुण मनु बखूबी जानते थे मालूम नहीं उनके साथ रहे या नहीं रहे लेकिन उन्होंने और जातियों को नीच अमानवीय और किसी भी स्तर पर सामाजिक आदान-प्रदान के लायक नहीं समझा इस बात की विद्वानों में बहुत अधिक चर्चा भी होती है परिचर्चा भी होती है और बहस भी होती है स्वीकारोक्ति स्वीकारोक्ति भी होती है कि मैंने क्या कहा क्या नहीं कहा लेकिन आज के समय में कोई भी ऐसा दस्तावेज जो किसी भी समाज जाति या लिंग धर्म रंग या भाषा के आधार पर भेदभाव करता है उसको नहीं स्वीकार किया जा सकता मनुस्मृति सभी को पढ़ना चाहिए ताकि समाज में जागरूकता हो और बहस का स्तर बढ़ाया जा सके|
मनुस्मृति उन लोगों के लिए एक दस्तावेज है जो समाज के कानूनों को नियमों को ताक पर रखकर वक्त के हिसाब से अपने फायदे भूलने की कोशिश करते हैं मंच पर खड़े होकर होकर अच्छे अच्छे भाषण देना बहुत अच्छी बात है लेकिन अपने निजी जीवन में उन्हीं मूल्यों को अवतरित करना दूसरी बात है|
आजकल सोशल मीडिया के चलते आपको बहुत सारे ऐसे नेतागण मिल जाएंगे जो अपने फेसबुक ट्विटर और इंस्टाग्राम पोस्ट में इतने बंद होते हैं कि अपने पास में बैठे भी व्यक्ति से बात करने तक ही फुर्सत नहीं और दिन भर अपनी फेसबुक पर लाइक और शेयर को देखकर खुश या परेशान होते रहते हैं मनुस्मृति का इन सोशल मीडिया पुलिस स्टेशन से एक गहरा नाता है और वह है समाज के इस रूप को देखना तो नकारात्मक है जिसका असल जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है अपने फायदे के लिए सामाजिक मूल्यों को ताक पर रख देना और समय-समय पर उनको बदल देना कोई ठीक बात नहीं बहुत सारे ऐसे सोशल पॉलीटिशियंस है जो अपने आप को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं पहले गर्लफ्रेंड बनाते हैं फिर उसको लिव इन रिलेशन में चले जाते हैं फिर उसी पार्टनर से को बहन बना लेते हैं और फिर बहन के बाद आगे फिर और कब कितने रिश्ते बदलेंगे मनु ने जो कहा था औरत का चरित्र त्रिया चरित्र होता है उस चीज का फायदा यह लोग उच्च श्रेणी के सोशल मीडिया पॉलिटिशन अपने फायदे के लिए उठाते हैं या यूं कह लें कि मानव व्यवहार के जो पक्ष है जिनको की ग्रे एरिया कहा जाता है इसके बारे में महेश भट्ट फिल्में बनाने में माहिर है यह उन्हीं सब बातों का सहारा लेकर समाज में इस हद तक गिर जाते हैं उसकी कोई तुलना नहीं है|