डॉक्टर सीमा सरोहा दिल्ली विश्वविद्यालय के सी आयी ई में प्रोफेसर है । शिक्षाविद है समाज सेविका है एक जागरूक महिला है और परम्परा कर खिलाफ चलती है अगर परंपरा समाज की भलाई में ना ही या महिला विरोधी है। आयी सी एस एस आर की फेलो रह चुकी है। ओर बेहद मेहनती है शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रोयगो के लिए जानी जाती है । एक बहुत अच्छा उनका शिक्षा का केरियर रहा है। और अपने विचारों में अपनी सोच में एक दम दुरुस्त ओर साफ है। जिंदगी के अनुभवों का उनको इल्म है और अपने काम और मकसद में वो एक दम सही दिशा में चलती है। एक माँ है एक पत्नी है एक प्रोफेसर है और साथ मे एक बहु एक समाज की जागरूक महिला। मुजे उनमें बहुत सारी बाते अच्छी लगी।बहुत कुछ सीखने को मिला। जैसे कि डॉक्टर अम्बेडकर को ले कर जब हम बात कर रहे थे तो सीमा बोलती है कि अम्बेडकर की मूर्ति लगाने के साथ साथ अगर हम उनकी लिखी किताबो को पढ़ने का एक सिलसिला या नियम बने की कोई एक दिन आप तयः करे जब आप सब किताब पढ़ रहे है।बच्चो में की आदत बन जाये। और जब अंबडेकर को पढ़ेंगे तो बहुत हदतक लोगो की समझ बहुत गहराई तक जाएगी।
सीमा जी की सब से खास बात है कि वो एजुकेशन के बैकग्राउंड से आती है तो हमारी अक्र्सर बात बच्चों की परवरिश को लेकर होती है उसमें मुजे हमेशा लगा की उनको सोच बहुत गहरी है और मुजे जानने को अभी बहुत कुछ बाकी है। और किस तरह से बच्चो को हम समजे केसे हम बच्चो के साथ चले ओर किस तरह से एकदोस्ताना संबंध हम बच्चो स्व बना ले।
महिलाओ के मुद्दे पर।
यह विषय हमारी चर्चा का एक अहम हिस्सा रहा जिसमे की तरह महिलाओ में उस पक्ष को जाने जिसमे महिलाएं आपस मे जुड़ना चाहती है। क्या क्या मुद्दे हो सकते है जिसमे हम महिलओं को आपस मे समजे। महिलाओं के मुद्दे पर या अपना एक स्पेस जो जैसे कि मेरी वलस्टोनक्राफ्ट 1792 में विंडीकेशन ऑफ वोमेन राइट्स लिखा जिसमे वो महिलओं के प्राइवेट स्पेस की बात करती है । महिलाओ को खुश रहने के अधिकार है। राइट टू हैप्पीनेस डॉक्टर सीमा का कहना है कि हम को उन सब बंधी बंधाई धारणाओ को तोड़ना चाहिए जो मेन्टल ब्लॉक्स बन कर आप के दिमाग मे है । जैसे कि महिलाओ को बहुत स्तर पर मिलना चाहिए है और मुजे जो सब से अच्छी बात लगी उनमें की एक महिला दूसरी महिला की निंदा करने के बजाय उसको समजे इसमें कोई भी जजमेंट नही होना चाहिए। और फिर हम क्यो परवाह करे कि को क्या सोचता है हमारे बारे में।
हम को अपने पर यकीन ओर अपने से काम करना चाहिए। डॉक्टर सीमा एक बहुत प्रभावशाली व्यक्तिव है और अपने काम मे एकदम पाबंद।ओर काफी सुलझी हुई। बात महिलाओ के अपने समय की खुद को देखने समजने परखने की ओर साथ मे दूसरी महिलाओ को भी। मतलब है कि उस वक्त महिला को कोई ऐसा समय नही मिल पाता था जिसमे की वो कुछ देर अकेले शांति से बेठे अपने बारे में सोचे ओर खुद को देखे। जैसे कि आजकल हम अपने पर ध्यान देने के लिए मेडिकेशन करते है या कुछ ऐसा काम करते है जो हम को पसंद है जो हम को सुकून देता है भले ही आओ मिट्टी में खेले या कुछ देर अपने पौधों को निहारे। यह सब आप को सुकून देता है। ।
डॉक्टर सीमा को अपने प्लांट्स का बहुत शौक है और वो इंतने ख़ुसूसरत तरीक़े से अपने पोधे सजाति है की उसमे आप को एक क्रियान्वयन व गहराई नज़र आएगी।
डॉक्टर सीमा अपने जीवन में बहुत कामयाब है और एक माँ एक पत्नी एक समाज की जागरूक महिलाओ का प्रतिनित्व करती है।