डॉक्टर प्रेमचंद आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर है और जीवन की उन सब कठिनाइयों को मात देकर आगे आए हैं जो बहुत कम दिल ने यह काम कर पाते है
डॉक्टर प्रेमचंद हरियाणा के छोटे से गांव में पले बढ़े सरकारी स्कूल में शिक्षा ली अंग्रेजी माध्यम का कोई नामोनिशान नहीं बड़ा परिवार माता-पिता अपने संघर्षों में अपने बच्चों को शामिल नहीं करते हुए हर वह मुमकिन प्रयास कर रहे थे कि उनके बच्चे बो जिंदगी ना देखे वह तकलीफ ना देखे जो उन्होंने अपने जीवन काल में देखी है |इनके माता-पिता ने अपना पूरा जीवन संघर्ष में बिताते हुए भी अपने बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं की प्रेमचंद ने अपने एक भाई को किसी खेत में काम करते हुए खोया और उसके बाद उन्होंने यह निश्चय किया कि मैं उच्च शिक्षा में जाऊंगा और अपने ही नहीं अपने परिवार और समाज के प्रति भी अपना कर्तव्य निभाऊंगा
डॉक्टर प्रेमचंद बचपन से ही मेधावी और जुझारू रहे हैं स्कूल से छूटने के बाद खेत में जाकर काम करना और उसके अलावा घर की जिम्मेदारियों को निभाने का पूरा दारोमदार इन्होंने अपने ऊपर लिया
डॉक्टर प्रेमचंद दिल्ली विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालयसे डॉक्टरेट की उपाधि उपाधि ली और आज डूटा की राजनीति की में सबसे मेहनती और अग्रणी चेहरा प्रेमचंद का कहा जा सकता है |दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के संघर्ष में जो आवाज सबसे ज्यादा गूंजती है वह डॉक्टर प्रेमचंद| स्वभाव से विनम्र बहुत सीधे-साधे और अपने काम को जीवन से अधिक महत्व देने वाले डॉक्टर प्रेमचंद एकेडमिक सेक्शन एंड डेवलपमेंट के बैनर से टूटा मैं और भी कई महत्वपूर्ण चुनाव लड़ चुके हैं और हमेशा अच्छी खासी जीत दर्ज की है|इनकी चुनाव में जीत शिक्षकों का इनमें विश्वास दर्ज कराती है और ऐसे छोटे भैया नेताओं को उनके मुंह पर तमाचा मारती है जो अपने मतलब और स्वार्थ के लिए कुछ समय के लिए किसी पार्टी से जुड़ते हैं और फिर अच्छा फायदे की उम्मीद में किसी दूसरी पार्टी को ज्वाइन कर लेते हैं |डॉक्टर प्रेमचंद इमानदार निष्ठावान और कर्तव्य प्रति व्यक्ति है|
प्रेमचंद का चेहरा अनवरतता का एक उदाहरण है |अपने परिवार के प्रति निष्ठावान रहते हुए और समाज के प्रति जागरूक दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों के संघर्ष में सबसे आगे रहते हैं |एक संगठन के प्रति ईमानदार लोगों के लिए काम करना जिन्होंने जिन्होंने इस को बनाए रखा है|
हरियाणा के दलित परिवार से संबंध रखते हुए प्रेमचंद का लाल नेहरू विश्वविद्यालय डॉक्टर की उपाधि लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम करना अपने आप एक बड़ी उपलब्धि है| जब आप उनको नजदीक से जानते हैं उनकी जीवन को समझने की कोशिश करते हैं तो आपको लगेगा कि अपने जीवन के संघर्ष को पार करते हुए आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस मुकाम तक पहुंचे हैं| दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक इस बात की तारीफ करते हैं और उनका हौसला अफजाई करते हैं जो उन्होंने संघर्ष के रूप में तदर्थ शिक्षकों व अन्य स्टाफ के कर्मचारियों के लिए किया है| आज तक कभी कोई चुनाव नहीं हारा और आज भी अपने संगठन के प्रति वफादार रहते हुए अपने काम के प्रति निष्ठावान रहते हुए अपने समाज के प्रति जागरूक रहते रहते हुए प्रेमचंद नित्य नए संकल्प लेते हैं और उनको पूरा करने का प्रयास करते हैं|
प्रेमचंद का जीवन उन सब लोगों के लिए और बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है जो सोचते हैं कि हम छोटे गांव से हैं हम अंग्रेजी माध्यम से नहीं पढ़े हैं और हमारे पास साधन सुविधाएं नहीं है तो हम क्या कर पाएंगे और परेशानियों डॉक्टर प्रेमचंद इन सब मुसीबतों और परेशानियों का एक उम्दा सफल उदाहरण पेश करते हैं