कॉलेजों की ग्रांट दो यह हक है हमारा :इंटेक। हम अपना अधिकार मांगते। नही किसी से भीख मांगते ।

इंडियन नेशनल टीचर्स कॉंग्रेस ने अपनी 18 तारिख की प्रेस कंफर्नेस में यह साफ करदिया की जो 12 कॉलेज शत प्रतिशत दिल्ली सरकार की ग्रांट पर आधारित है उनके टीचिंग नॉन टीचिंग  रिटायर व अन्य पेंशनर ओर अन्य स्टाफ की सैलरी को बार बार रोकना न सिर्फ अन्याय पूर्ण है बल्कि मानव अधिकार हनन का गभीर मामला है।  ग्रांट कॉलेज टीचर्स  व नॉन टीचिंग स्टाफ को नही दी जारही है वो माफी के लायक नही।   डी पी सी सी प्रेसिडेंट  श्रीअनिल चौधरी  ने कहा कि कुुल 56 करोड़ वहा  भी सरकार ने 3.5करोड़ की   ग्रांट  दे कर  खुद  के उच्च शििक्षा दावे की पोल खोल दी है । प्रोफेसर किरण वालिया ने कहा कि कॉलेजो का जो राजनीतिक मिस मैनेजमेंट जो कि सरकार से सभल नही रहा है उसकी सजा प्रोफ़ेसर ओर नॉन टीचिंग साफ को मिल रही है। कम से कम मानव अधिकारों का हनन तो नही देखा जा सकता। सरकार के किसी काम की नाकामी में कॉलेज की ग्रांट नही रोकी जा सकती।

डी सी सी अध्यक्ष श्री अनिल चौधरी दिल्ली की समस्याओं के समाधान को आतुर एक कर्मठ राजनेता ने साफ किया कि जो ग्रांट टीचर्स का हक है उसको  कोई नही रोक सकता  । प्रोफेसर किरण वालिया हमारे दिल्ली विश्वविद्यालय की शान ओर पूरे विश्व मे जिन्होंने अपने स्वास्थ्य मंत्री रहते जो काम कर के दिखाया। डॉक्टर अश्विनी शंकर जी जो कि दिन रात लग कर संगठन को मजबूत कर रहे है और हर स्तर पर संगठन को मजबूत करने में सफल रहे है । डॉक्टर पंकज गर्ग जो कि एक बहुत ही धीर गम्भीर ओर स्थिति को समझ कर काम करते है संगठन के लिए हमेशा तैयार काम के प्रति समर्पित। एक अनुभवी कर्मठ व सुलझे  हुए  व्यक्ति डाक्टर पकंज गर्ग ने प्रेसकांफ्रेन्स को कामयाब बताया।

इंटेक एक ऐसा संगठन है जिसमे लोग को आज़ादी है और अपने को आगे  तक लेजाने की जगह देता है यह संगठन। प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात को साफ किया गया कि जो ग्रांट रोकी जा रही है वह अन्याय पूर्ण है और जो शिक्षक समाज का हक है वो उनको कैसे रोक कसते है। काम हम कर चुके होते है और महीने भर का काम कर लेने के बाद तनख्वा आती है यानी कि को काम हम करचुके । ओर सैलरी के टाइम पर सरकार नाकामी की हद पार कर जाती है।

बाकी सभी ऑफिस  इंटेक  बियरर ने अपने पक्ष रखे।।यह इन कोलेजो के स्टाफ को हक़ दिलाने में बड़ा कदम साबित होगा।

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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