सोशल मीडिया पॉलिटिशनस

जबसे सोशल मीडिया अभी के हाथ में आया है तब से उन लोगों की मजे हो गए जो फेसबुक या टाइप की राजनीति करते हैं कुछ लोग तो फेसबुक पर लिखने में इतने माहिर है कि वह सोचते हैं कि फेसबुक की लाइक और शेयर के आधार पर उनकी राजनीति ऊपर और नीचे हो रही है| क्योंकि सोशल मीडिया पर कोई कंट्रोल नहीं है कोई गलत सही होने का दावा नहीं करता जो लोग आपके आसपास में इसमें किसी को बदनाम करें किसी के बारे में कुछ भी लिखें या अपना फ्रस्ट्रेशन ऑफिस में निकालें और ज्यादा लो|गों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जो समझदार है अपने काम में लगे हुए हैं तो आपकी पोस्ट को इग्नोर कर देंगे

लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सोचते हैं कि फेसबुक पर जो लिख दिया उसे उनकी नेतागिरी चमकती है  |सोशल प्लेटफॉर्म में जो भी माध्यम है ज्यादातर लोग वह है जो अपनी बात लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं एक अच्छा माध्यम है सशक्त माध्यम है जनता तक पहुंचने का लेकिन बहुत सारे लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं |और उन्हें लगता है कि कोई एक नकली नकली ग्रुप बना लो लोगों को जोड़ लो और उसके बाद अपनी बकवास पुलिस पर रहो बता देना हो और लोगों तक पहुंचाते रहो|

समय समय के साथ यह साबित हो चुका है कि सोशल मीडिया पॉलिटिशन असल जिंदगी में लोगों की तकलीफों से उनकी जरूरतों और उनके साथ काम करने में नाकाम रहे हैं पोस्टर पकड़ कर फोटो खिंचवा लेना फोटोशॉप के माध्यम से उसके ऊपर कुछ भी अच्छा से लिख लेना और अपने आप की अच्छी प्रस्तुति करने से कुछ लोग हैं जो सारा टाइम सोशल मीडिया पर रहते हैं वह आपकी पोस्ट को देख भी लेंगे हो सकता है कुछ लोग आदित्य लाइक शेयर भी कर लेते हैं लेकिन जब आप असल जीवन में लोगों से मिलते हैं उनके मुद्दों से जुड़ते हैं तब आप ऐसे लोग कहीं टिक नहीं  पाते हैं|

जिन लोगों का पूरा दिन इस बात में गुजर जाता है कि उसकी पोस्ट पर कितना लाइक है शेयर है और जो दूसरे लोगों के बारे में अनाप-शनाप लिखता है कुछ भी लिखता है जनता कैसे उस पर विश्वास करें कि एक अच्छा पॉलिटिशन है दरअसल लॉकडाउन और सोशल मीडिया ने मानव जाति के कुछ जंतुओं को एक अलग ही दुनिया का प्राणी बना दिया है जो अपने मोबाइल को पकड़कर लाइक शेयर और फेसबुक पर जो कुछ भी कचरा लिख रहे हैं उसे जनता उनके बारे में अच्छे विचार बना रही है इन मूर्खों को यह समझना चाहिए कि जनता तुम्हें फेसबुक से बाहर जब देखती है कि वह औरतों के साथ घूम रहे हो समाज के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हो मनी भंडारी संस्थाओं के नियम तोड़कर अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार हो तो ऐसे लोगों को जनता लात मारती है

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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