बिहार मे बच्चे व महिलाओं की स्थिति

समाज का ढांचा समाज के लोगो से बनता है और समाज का हर इंसान जब उसकी सारी ज़रूरतों को पूरा कर लेता है एक सम्मान जनक स्थिति में तब ही सामाजिक जीवन की उन्नति कही जा सकती है।

भारत मे इतनी अधिक बेरोजगारी व लाचारी है कि मानव जीवन बर्बाद नज़र आता है और किसी को उसको ठीक करने का कोई कारण भी नही नज़र आ रहा न समज।

जो काम नही करते जीवन स्तर नीचा है उनको भी इस बात की जानकारी नही की इसको ठीक कैसे किया जाय। और जीवन का यह रूप हैरान भी करता है परेशान भी। यह तो एक सामान्य बात हो गयी अब जो  बहुत हैरान करने वाली बात है इसी में लड़ाई भी होती है झगड़ा भी ओर जो बहुत प्रभावित करने वाले भाव है वो है गुस्सा नफरत बदला। ये ऐसे भाव है जो अतिरक्त ऊर्जा देते है आप को खड़ा रखते है लड़ने की ताकत देते है वो है यही सब

सरकार ख़या करेगी पता नही परन्तु खु द को ही कुछ करना पड़ेगा। बच्चे स्कूल जाए वहाँ वो सीखे बराबर अक्षर ज्ञान हो उनमें सीखने के साथ बदलाव आए और महिलाओं की  स्थिति में बदलाव आये याबी सामने सरकार कुछ करेगी या जनता या लोग खुद ही अपना जीवन स्तर उठाएंगे।

परन्तु कुलमिलाकर कर समाज मे जो मानव मूल्यों की हानि है वह नही होनी चाहिए वह बहुत खतनाक स्थित है इसमें किसी का भला नही होने वाला है।

आज ििइंतेरनेट ओर वाट्सएप के चलते जीवन तेज़ी से बदला है और बहुत कुछ ऐसा घटित हुआ जो नही होना चाहिए था। परन्तु इसने संभावनाएं भी ला कर खड़ी करदी।

वैसे तो मस्तिष्क की प्रकृति है कि वह स्तिर रहना चाहता है परन्तु परिवर्तन की बात करता है और परिवर्त किसी को भी पसंद नही आता है।

चुनाब कोई जादू की छड़ी नही की रातों रात हालात बदले दर असल हालात हम को खुद को मिलकर ही बलदने होंगे।

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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