डॉ आर एस प्रवीण कुमार , आई पी एस, डियर (ड्राप एवरीथिंग एंड रीड)

सेक्रेटरी तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स : पुलिस की वर्दी में समाज का सुधारक । आप और हम सब इस बात को जानते हे की सरकारी स्कूलो का हाल बहुत बुरा होता हे और कोई भी अपने बच्चो को सरकारी स्कूल मे पढ़ाना नहीं चाहते परन्तु अगर में बात करू ऐसे सरकारी स्कूलो की जिसमें एक सरकारी स्कूल की बच्ची पूर्णा जो की विश्व की सर्वाधिक काम उम्र की मात्र 13 साल की उम्र में माउंट एवेरस्ट को फतह कर चुकी हे (25मई 2014)और जिस पर राहुल बॉस जो की जाने मने अभिनेता और डायरेक्टर भी हे ने एक फिल्म भी बनायीं हे पूर्णा 'लड़किया कुछ भी कर सकती हे ' | या में उन सरकारी स्कूलों की बात करू जहाँ 1,50,000 स्टूडेंट स सीट्स के लिए दो लाख से भी ज्यादा ऍप्लिकेशन्स आती हे |

डियर (ड्राप एवरीथिंग एंड रीड)
जहाँ स्कूल के टाइम एक बेल बजती हे और पूरा स्कूल , स्कूल का हे स्टाफ टीचर्स , नॉन टीचिंग, प्रिन्सियल, बच्चे सभी अगले बीस मिनट के लिए पड़ने लग जाये हे और ऐसा इसलिए की स्कूल में एक ड्राप एवरीथिंग एंड रीड ( सबकुछ छोड़ो और पड़ो) नियम लागु हे जिसमे पड़ना एक ज्ञान का स्त्रोत हे पड़ना एक ताकत की निशानी हे पड़ना एक लाभ (प्रॉफिट ) का नाम हे| इस सब बातो को जान ने के बाद आप जरूर उत्सुक होंगे कोनसे हे ये स्कूल और को ये सब परिवर्तन क्र रहा हे इन सरकारी स्कूलों में बच्चो को प्लंबिंग ,एल्क्ट्रिशन का काम , ब्यूटी केयर, ग्रीन गुरु के तहत जंगल की केयर व् नेचर को समजना| इन स्कूलों में एक सर्कल टाइम होता हे जिसमे सभी बच्चे एक गोले में बेथ कर अपने अपने अनुभव बाँट ते हे| इन स्कूलो के बच्चे ज्यादातर पहली पीढ़ी इनके के पढने लिखने वाले बच्चे हे और माँ बाप ज्यादातर मजदूरी करते हे| परन्तु आप सुन कर हैरान हो जायेंगे की इन बच्चो ने क्या उपलब्धिया हासिल की हे और ये सभी उपलब्धिया हासिल कर पाए हे सिर्फ एक वयक्ति की वजह से और हे जो की आज के हमारे हीरो भी ह। तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स जो की अनुसूचित जाती व् जान जाती के रिहायशी स्कूल हे जिसमे टोटल 268स्कूल आते हे और इसमें कक्षा 6 से एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर एडमिशन होता हे ये स्कूल्ज पूरी तरह से सरकारी मदद से चलते हे और डॉ आर एस प्रवीण कुमार , आई पी एस के कमान सम्भालने से पहले इनकी हालत बहुत बुरी थी और डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस ने स्वयं ही इस की जिम्मेदारी लेनी चाही\2014से 2019 तक के कुछ उपलब्धिया आप के सामने हे निचे दिए गए वो बच्चे हे जिन्होंने इन प्रेस्टीजियस संस्थानों में कक्षा १२ के बाद स्थान पाया हे ये आंकड़े 2014 से 2019 के हे | निचे संस्थानों का नाम व् इनमे एडमिशन लेने वाले (टी एसडब्लू आर ई आई ) केस्टूडेंट्स |

बच्चो की उपलब्धिया आयी आयी टी -86विद्यार्थी ,ए न आयी टी -114, मेडिसिन -168, अज़ीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी -89, DU-158, सेंट्रल यू निवर्सिटिस-120, स्टेट इंजिनीरिंग कॉलेजेस -425, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साईन्सज(टिस)-16, क्लैट-05, इंडियन नेवी एंड आर्मी -06, हारवर्ड यूनिवर्सिटी -01, केनेडी लुगार फेलो यू एस ए-08, कम्युनिटी कॉलेज इनिसिएटिवयू एस ए-07 डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस सेक्रेटरी तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स (टी एसडब्लू आर ई आई ) के सेक्रेटरी ने एक तरह से स्टूडनेटस के लिए एक इको सिस्टम तैयार किया हे स्टूडेंट्स के लिए जिसमे कक्षा 12 के बाद भी स्कालरशिप के तहत उच्च शिक्षा दी जाती हे परन्तु स्टूडेंट्स को एक बहुत ही हाई स्टैण्डर्ड बनाये रखना पड़ता हे और बराबर स्कोर करना पड़ता हे |

डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस, सेक्रेटरी तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स (टी एसडब्लू आर ई आई ) खुद भी बहुत गरीब दलित परिवार में जन्म लिया माँ बहुत गरीब थी परन्तु माँ ने पद पढ़ाई कर के एसोसिएट प्रोफेसर तक का पद हासिल किया व् पिता जी भी अद्यापक रहे हे | डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस का कहना हे की जो मुझे नहीं मिला इन स्टूडेंट्स को मिले इसलिए आईपीएस होते हुए भी समाज को वापस कुछ लौटने के मिशन के तहत इस संस्था को ज्वाइन किया और आज ये संस्था किसी भी प्राइवेट इंस्टीटयून्स को मात देती हे इस में एस सी के साथ में बेकवर्ड कास्ट व् और जातियो का भी प्रतिनित्धित्व हे | डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस ने स्वयं शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रेजिडेंट रिचल डब्लू लिंडसे से बात की और शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के कम्युनिटी कॉलेज में स्टूडेंट स को भेजा व् (टी एसडब्लू आर ई आई ) का एक एक्सचेंज प्रोग्रॅममे भी हे | स्वेयरोस यानि स्वयं के एरोस जो तीर आसमान को भेद देते हे डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस ने टेन कमांडमेंट्स भी बनाये और एक नया नाम दिया अपने स्टूडेंट्स को स्वेरो और स्वेयरोस यानि स्वयं के एरोस जो तीर आसमान को भेद देते हे इन संस्थाओं में जो किसी के मोहताज़ नहीं होते| आयी कैन डू बनाया जिसमे स्टूडेंटस को ये समज दी जाती हे की आप कुछ भो कर सकते हे| ये कुल मिला के 286 स्कूल्ज हे जिसमे डेडलाख से ज्यादा बच्चे पड़ते हे और कई प्रोग्राम किये जाते हे जैसे की ग्रीन गुरु ,स्टूडेंट असिस्टेंट प्रोग्राम नेटवर्कfस्वेरो , स्वेरो नेटवर्क , इग्नाईट फेस्ट कॉम्पिटिशन ओप्रशन ब्लू क्रिस्टल ,इम्पैक्ट , कवेस्ट, रोबोटिक इनफार्मेशन ,कीओस्क ,पे ने सिआ हेल्थ केअर ये सब कुछ डॉ आर एस प्रवीण कुमार , आई पी एस सेक्रेटरी तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स की देंन हे| 2017 में इनको तेलंगाना सरकार की तरफ से स्टेट एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस को मुख्यामंत्री श्री के चंद्र शेखर रओ ने इनको गोकुंडा के फोर्ट में १५ अगस्त 2017 को इस सम्मान से सम्मानित किया | डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस के प्रया सों से एक सिर्फ लड़कियो का साई बराबद बैंड तैयार किया गया जिसने रिपब्लिक परेड में भी हिस्सा लिया | डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स न सिर्फ एक अच्छे आईपीएस अफसर हे बल्कि एक अच्छे पिता पति और बेटे भी हे समाज के लिए तो इन्होने अपना सब कुछ दे दिया इन की कार्य शैली बहुत ही विनम्र हे और इनके साथ काम करने वाले हर व्यक्ति को बहुत ही आदर सम्मान से देखते हे कुछ कर्मचारी तो इनको भगवान से भी बढ़ कर मानते हे| अपनेसाथ हर काम करने वाले को बेहद इज्जत देते हे और इनकोसमाज के प्रति काम करने का एक जूनून हे |

अब तक जितने भी काम डॉ आर एस प्रवीण कुमार , आई पी एस सेक्रेटरी तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीटूटूशन्स किये उसमे इनकी कार्य कुशलता , निपुणता , एक इनोवेशन , आल राउंड एप्रोच, इक्वल जस्टिस के साथ महिलों लड़कियों का खास ध्यान रखना और इस बात को समझना की लड़कियो को थोड़ा अधिक प्रोत्साहन चाइये होता हे और अधिक सुविधा भी| डॉ आर एस प्रवीण कुमार ,आई पी एस एक बेहद मेहनती ,डेडिकेटेड, और इग्नाइटेड माइंड जो इस समाज के लिए मार्ग दर्शक हे और इनके प्रयासों से वो बच्चे जो कभी कुछ नहीं कर पाते संसाधनों के आभाव में आज आसमान की बुलंदियां छू रहे हे |

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Dr. Anju Gurawa

Being a girl from the most backward district {Chittorgarh} from Rajasthan I was always discouraged to go for higher education but my father Late Mr B. L. Gurawa who himself was a principal in the senior Secondary insisted for higher studies and was very keen to get his children specially girls to get education.

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